आईओएफएस के अधिकारियों और आईडीएएस के प्रोबेशनर ने राष्ट्रपति से मुलाकात की
नई दिल्ली, 17 नवंबर (हि.स.)। भारतीय आयुध निर्माणी सेवा (आईओएफएस) के अधिकारियों और भारतीय रक्षा लेखा सेवा (आईडीएएस) के प्रोबेशनर ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
राष्ट्रपति ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे ऐसे समय में उनकी सेवाओं में शामिल हुए हैं, जब देश स्थानीय और वैश्विक स्तर पर व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। नई प्रौद्योगिकियों के उद्भव और नवीनतम तकनीकों और सूचनाओं के दुनिया के हर हिस्से में तेजी से फैलने के साथ एक विकसित राष्ट्र के निर्माण और भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। उन्होंने कहा कि युवा अधिकारियों के विचार, निर्णय और कार्य रक्षा प्रणालियों और देश के भविष्य को आकार देने में बड़े पैमाने पर योगदान देंगे।
भारतीय आयुध निर्माणी सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक समावेशी और विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने की यात्रा पर निकल पड़ा है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर, प्रतिस्पर्धी और मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने में स्वदेशी उद्योगों की बहुत बड़ी भूमिका है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई नीतिगत पहल की हैं और रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार लाए हैं। राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि आईओएफएस अधिकारी रक्षा प्रणालियों में स्वदेशीकरण के प्रेरक और सूत्रधार होंगे और उनसे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में काम करने की उम्मीद की जाएगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 16,000 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि आईओएफएस अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए विकास कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लें और भारत को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएं।
राष्ट्रपति ने भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे देश के सशस्त्र बलों के वित्तीय पहलुओं के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वे रक्षा क्षेत्र के भीतर कुशल वित्तीय प्रबंधन और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अपनी पेशेवर ईमानदारी और अपने मजबूत प्रशिक्षण मॉड्यूल के आधार पर, आईडीएएस अधिकारी रक्षा बलों में वित्तीय विवेक को बढ़ावा देने और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम होंगे। राष्ट्रपति ने उनसे रक्षा प्रणालियों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए ऑडिटिंग और अकाउंटिंग के लिए नवीनतम तकनीकों और तरीकों को अपनाने का आग्रह किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल