(वार्षिकी) ‘अभ्युदय मध्यप्रदेश’ के जरिए मोहन यादव सरकार का विकास मॉडल, निवेश का नया नक्शा
भोपाल, 23 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में विकास अब केवल योजनाओं और घोषणाओं तक सीमित नहीं रहा है, यह उद्योग, निवेश और रोजगार के ठोस परिणामों के रूप में सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार ने सत्ता संभालते ही औद्योगिक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। पहली बार संभाग स्तर पर इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव, इंदौर से हटकर भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और अब ग्वालियर में आयोजित हो रहा ‘अभ्युदय मध्यप्रदेश ग्रोथ समिट’ ये सभी आयोजन इस बात के संकेत हैं कि प्रदेश अब निवेश के लिए नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। इस नजरिए से वर्ष 2025 राज्य के लिए बहुत सफल सिद्ध हुआ है।
दरअसल, मोहन यादव सरकार ने औद्योगिक नीति को राजधानी भोपाल या चुनिंदा औद्योगिक शहरों तक सीमित न रखकर पूरे प्रदेश में फैलाने की रणनीति अपनाई है। इसी सोच के तहत पहली बार प्रदेश के अलग-अलग संभागों में इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव आयोजित किए गए, जहां स्थानीय संसाधनों, कनेक्टिविटी, श्रमशक्ति और क्षेत्रीय संभावनाओं को निवेशकों के सामने रखा गया। इसका सीधा असर यह हुआ कि निवेश प्रस्ताव केवल कागजों तक नहीं रहे, बल्कि जमीन पर उतरने लगे।
सरकार के मुताबिक ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव, राष्ट्रीय इंटरैक्टिव सेशन और विदेश यात्राओं के माध्यम से 32 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इनमें से करीब 8.57 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव धरातल पर आ चुके हैं। एक ही वर्ष में सर्वाधिक निवेश प्रस्ताव आकर्षित करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश देश का तीसरा राज्य बना है। अब तक 881 औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटन, 281 इकाइयों का भूमिपूजन और 141 इकाइयों का शुभारंभ हो चुका है। औद्योगिक विकास को गति देने के लिए 18 नई नीतियों को मंजूरी दी गई है, जिससे निवेश का नया इकोसिस्टम तैयार हुआ है।
इसी औद्योगिक यात्रा का अगला और अहम पड़ाव 25 दिसंबर 2025 को ग्वालियर के मेला ग्राउंड में आयोजित होने वाला ‘अभ्युदय मध्यप्रदेश ग्रोथ समिट’ है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सहभागिता और मुख्यमंत्री की उपस्थिति में होने वाला यह राज्य स्तरीय आयोजन ‘निवेश से रोजगार–अटल संकल्प, उज्ज्वल मध्य प्रदेश’ थीम पर आधारित है। समिट के दौरान दो लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों से जुड़ी परियोजनाओं का भूमि-पूजन किया जाएगा।
इसके साथ ही 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की पूर्ण परियोजनाओं का लोकार्पण, औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटन और आशय-पत्रों का वितरण होगा। निवेश से जुड़े लाभार्थियों का सम्मान और रोजगार-केंद्रित पहलों का प्रस्तुतीकरण भी कार्यक्रम का हिस्सा रहेगा। खास बात यह है कि इस मंच पर औद्योगिक इकाइयों में रोजगार पाने वाले युवा, सफल लाभार्थी और महिला उद्यमियों द्वारा संचालित इकाइयों को विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे महिला सशक्तिकरण और समावेशी विकास का संदेश मजबूती से सामने आए।
औद्योगिक सुधार और नवाचार के तहत विशेष औद्योगिक क्षेत्रों का शुभारंभ, ‘वन-क्लिक प्रोत्साहन वितरण प्रणाली’ की शुरुआत, नए औद्योगिक क्लस्टर और प्लग-एंड-प्ले इकाइयों का उद्घाटन भी किया जाएगा। साथ ही प्रदेश सरकार की उपलब्धियों पर आधारित एक विस्तृत प्रदर्शनी आयोजित होगी, जिसमें नीतिगत सुधार, निवेश प्रोत्साहन, अधोसंरचना विकास और रोजगार सृजन की तस्वीर को दृश्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। जिला स्तर पर औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन की उपलब्धियों को भी इसी मंच पर दिखाया जाएगा।
मप्र में शीघ्र आ रही है स्पेस टेक पॉलिसी
इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि मध्यप्रदेश का औद्योगिक वातावरण तेजी से बदल रहा है। सरकार निवेशकों को बेहतर पॉलिसी, इन्सेंटिव, इको-सिस्टम और मार्केट लिंकेज उपलब्ध करा रही है। निवेशकों की जैसी जरूरत है, सरकार वैसी मदद करती है। प्रदेश में पर्याप्त भूमि बैंक, जल संसाधन, कुशल मानव संसाधन और युवा शक्ति उपलब्ध है। निवेशकों के साथ राज्य सरकार हर कदम पर खड़ी है। वे यह भी कहते हैं कि मध्य प्रदेश ने 18 नई औद्योगिक नीतियां लागू की हैं, जिससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को जमीन पर उतारा गया है। धार जिले में देश के सबसे बड़े पीएम टेक्सटाइल पार्क का भूमि-पूजन किया गया है। प्रदेश में 20 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां कार्यरत हैं और बीते तीन वर्षों में लाखों रोजगार सृजित हुए हैं। प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर पॉलिसी और एपीजीसी-एक्सआर हब जैसी नई पहल लागू की गई हैं। जल्द ही स्पेस टेक पॉलिसी भी लाई जा रही है।
मप्र के लिए रहा 2025 ‘उद्योग वर्ष’
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2025 को ‘उद्योग वर्ष’ घोषित किया है। इसका असर यह हुआ कि प्रदेश में अब तक करीब आठ लाख करोड़ रुपये के उद्योग स्थापित हो चुके हैं और लगभग छह लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने का दावा सरकार कर रही है। इंदौर से हटकर पहली बार भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट ने इस प्रक्रिया को और गति दी। इसके जरिए सरकार ने प्रदेश के हर इलाके की औद्योगिक क्षमता को निवेशकों के सामने रखा, जिसका नतीजा यह रहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में 5,550 एकड़ जमीन बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए आवंटित हो चुकी है।
क्षेत्रवार देखें तो मध्यप्रदेश का हर अंचल औद्योगिक विकास की नई कहानी लिख रहा है। मध्य एमपी में भोपाल से लगे रायसेन जिले में बीईएमएल की रेल हब निर्माण इकाई ‘ब्रह्मा’ का शिलान्यास हुआ है। 1800 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में वंदे भारत और मेट्रो कोच का निर्माण होगा, जिससे 1575 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। वहीं भोपाल के अचारपुरा में नया इंडस्ट्रियल एरिया विकसित किया जा रहा है, जिसे टेक्सटाइल और फार्मा कंपनियों का हब बनाने की तैयारी है।
मालवा टेक्सटाइल में दुनिया भर में अलग पहचान बनाने के लिए तैयार
मालवा क्षेत्र में धार जिले में स्थापित होने वाला पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क मध्यप्रदेश को ग्लोबल टेक्सटाइल मैप पर स्थापित करने की क्षमता रखता है। 2158 एकड़ में फैले इस पार्क में 23 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा और करीब तीन लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। उज्जैन के विक्रम उद्योगपुरी में बना मेडिकल डिवाइस पार्क देश के चार बड़े पार्कों में शामिल है, जहां अब तक 2900 करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है और फेज-2 पर काम शुरू हो गया है।
बुंदेलखंड में पतंजलि समूह रीवा के मऊगंज में 5000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा, जिससे 5000 रोजगार सृजित होंगे। वहीं ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अदाणी और अंबानी समूह के निवेश से सीमेंट, जैकेट निर्माण, फर्टिलाइजर, बायोगैस और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े बदलाव हो रहे हैं। मुरैना में स्थापित देश की पहली सौर ऊर्जा भंडारण परियोजना इस बदलाव का प्रतीक है। इस तरह देखें तो यह वर्ष ‘अभ्युदय मध्यप्रदेश’ की थीम के साथ राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में सफल रहा है। बदलते मध्यप्रदेश में आज निवेश नीति नहीं, अवसर बन रहा है और उद्योग सीधे रोजगार की राह खोल रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी