पनडुब्बी 'शंकुश' की 2725 करोड़ रुपये से होगी मरम्मत, एमडीएल से हुआ अनुबंध
- मरम्मत के बाद 2026 में पनडुब्बी नौसेना के सक्रिय बेड़े में शामिल होगी
- पश्चिम जर्मनी में निर्मित इस पनडुब्बी ने राष्ट्र की सेवा के 36 साल पूरे किये
नई दिल्ली, 30 जून (हि.स.)। राष्ट्र की 36 साल सेवा करने वाली पनडुब्बी ‘शंकुश’ को 2725 करोड़ रुपये से मरम्मत करवाकर फिर से युद्ध लायक बनाया जायेगा। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं। इसके बाद पनडुब्बी को जीवन प्रमाणन के साथ मीडियम रीफिट के लिए भेजा जाएगा। मरम्मत के बाद पनडुब्बी 2026 में नौसेना को मिलेगी, जिसके बाद उन्नत लड़ाकू क्षमता के साथ भारतीय नौसेना के सक्रिय बेड़े में शामिल किया जाएगा।
शिशुमार श्रेणी की पनडुब्बियों में से दूसरी इलेक्ट्रिक हमला पनडुब्बी ‘शंकुश’ को 11 मई, 1984 को लांच किया गया था। इसके बाद 20 नवंबर, 1986 को भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी। पश्चिम जर्मनी में निर्मित इस पनडुब्बी ने राष्ट्र की सेवा के 36 साल पूरे कर लिए हैं। इसे 40 सदस्यीय चालक दल द्वारा संचालित किया जाता है, जिसकी लंबाई 65 मीटर और गोता लगाने का क्षमता 1,813 टन है। यह पनडुब्बी अत्याधुनिक हथियारों और सेंसरों की एक श्रृंखला से लैस है, जो उसे विभिन्न बेड़े, सामरिक और थिएटर स्तर के अभ्यास और परिचालन तैनाती में भाग लेने में सक्षम बनाती है।
रक्षा मंत्रालय ने आज मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के साथ सबमरीन आईएनएस शंकुश की सब-सरफेस किलर (एसएसके) क्लास के लाइफ सर्टिफिकेशन के साथ मीडियम रिफिट (एमआरएलसी) के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसकी कुल लागत 2725 करोड़ रुपये है। शंकुश एसएसके क्लास की पनडुब्बी है, जिसे एमडीएल, मुंबई में दोबारा फिट किया जाएगा। मरम्मत पूरी होने के बाद आईएनएस शंकुश युद्ध के लिए तैयार हो जाएगी और उन्नत लड़ाकू क्षमता के साथ 2026 में नौसेना को मिलेगी। इसके बाद इसे भारतीय नौसेना के सक्रिय बेड़े में शामिल किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह परियोजना भारत के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के लिए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) हब के रूप में एमडीएल के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना में 30 से अधिक एमएसएमई शामिल होंगे और परियोजना अवधि के दौरान प्रतिदिन 1200 मानव दिवस का रोजगार सृजन होगा। यह परियोजना भारत सरकार की मेक-इन-इंडिया पहल के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत का गौरवशाली ध्वजवाहक होगी।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन