नौसेना लक्षद्वीप में नए बेस आईएनएस जटायु से आईओआर पर रखेगी नजर
- नौसेना कमांडरों की कॉन्फ्रेंस अगले सप्ताह आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य पर
- अमेरिकी हंटर एमएच 60 रोमियो हेलीकॉप्टरों को अपने बेड़े में शामिल करेगी नौसेना
नई दिल्ली, 01 मार्च (हि.स.)। भारतीय नौसेना के कमांडरों की कॉन्फ्रेंस अगले सप्ताह आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर होनी है। इसी दौरान नौसेना लक्षद्वीप में नया बेस आईएनएस जटायु शुरू करेगी, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी। यह बेस अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्रों में तैनात आईएनएस बाज की तरह ही क्षमता प्रदान करेगा। इसी के साथ नौसेना अमेरिकी हंटर एमएच 60 रोमियो हेलीकॉप्टरों को कोच्चि के नौसेना वायु स्टेशन पर अपने बेड़े में शामिल करने की भी योजना बना रही है।
नौसेना में विमानवाहक पोतों आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पहली बार 50 मेहमान देशों के साथ बहुपक्षीय अभ्यास 'मिलन' में हिस्सा लेकर पश्चिमी समुद्र तट के लिए रवाना हो चुके हैं। कारवार कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित है और भारत के पश्चिमी तट पर गोवा के साथ अपनी सीमा साझा करता है। कारवार में ही दोनों विमानवाहकों पर अगले सप्ताह कमांडर कॉन्फ्रेंस होनी है, जिसमें नौसेना के टॉप कमांडर्स एक साथ देश की साझा रणनीति और तैयारियों पर चर्चा करेंगे। भारतीय नौसेना अपने दोनों विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत का संचालन लक्षद्वीप के पास करेगी, जो कई वर्षों में नौसेना के लिए अपनी तरह का पहला अनुभव होगा।
नौसेना इसी दौरान नए बेस आईएनएस जटायु को चालू करने की योजना बना रही है, जो हिंद महासागर में दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखेगा। अगले सप्ताह कमांडरों के सम्मेलन के दौरान यह बेस चालू होने की संभावना है। नौसेना वहां विरोधियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप में आईएनएस जटायु को तैनात करेगी। यह कुछ अधिकारियों और जवानों के साथ शुरू होगा और फिर एक बड़े नौसैनिक अड्डे तक विस्तारित किया जाएगा। यह बेस अरब सागर में पूर्व में अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्रों में तैनात आईएनएस बाज की तरह ही क्षमता प्रदान करेगा। यह पहली बार होगा कि आईएनएस विक्रांत आईएनएस विक्रमादित्य के साथ जुड़वां वाहक संचालन में भाग लेगा।
इसी के साथ भारतीय नौसेना अगले सप्ताह कोच्चि के नौसेना वायु स्टेशन पर एक समारोह में अपने नवीनतम पनडुब्बी रोधी एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टरों को अपने बेड़े में शामिल करने की भी योजना बना रही है। पहली खेप में कुल 4 एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर नौसेना में शामिल होंगे। भारत ने 2020 में इन 24 हेलीकॉप्टरों के लिए अमेरिका के साथ 2.2 बिलियन डॉलर से अधिक का सौदा किया था। भविष्य में भारतीय नौसेना की आंख, कान बनकर यह रोमियो हेलीकॉप्टर लंबी दूरी तक अपने दुश्मन का सफाया करने में सक्षम होंगे। साथ ही इससे भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की समुद्री युद्ध क्षमता और मजबूत होगी। अमेरिकी नौसेना के साथ हुए अनुबंध के तहत सभी 24 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति 2025 तक पूरी हो जाएगी।
एमएच 60 रोमियो हेलीकॉप्टरों को समुद्र में 'उड़ता फ्रिगेट' कहा जाता है। इस हेलीकॉप्टर में नाइट विजन उपकरण, हेलिफायर मिसाइलें, एमके-54 टॉरपीडो और रॉकेट लगे हैं। अमेरिका से भारतीय नौसेना को यह रोमियो हेलीकॉप्टर ऐसे समय पर मिले हैं, जब भारत हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों और जंगी जहाजों की घुसपैठ का सामना कर रहा है। सी हॉक में लगे राडार और सेंसर न केवल पानी के अंदर पनडुब्बियों की पहचान करने में सक्षम होंगे, बल्कि समय रहते उनका शिकार भी कर सकेंगे। इस खूंखार शिकारी से हरेक पनडुब्बी का कैप्टन डरता है। इसमें हथियारों को लगाने के लिए चार प्वाइंट्स दिए गए हैं। सुरक्षा के लिए इसमें 7.62 एमएम की मशीन गन को भी लगाया जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम