भारतीय शास्त्रीय संगीत के शीर्षस्थ महोत्सव तानसेन समारोह का हुआ विस्तार

 




- ग्वालियर में पांच दिवसीय 99वां तानसेन संगीत समारोह 24 दिसम्बर से

ग्वालियर, 17 दिसंबर (हि.स.)। यूनेस्को द्वारा “सिटी ऑफ म्यूजिक” के रूप में चुनी गई संगीत एवं कला की नगरी ग्वालियर में “तानसेन समारोह” की तैयारियां जोरों पर हैं। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनियां के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव तानसेन समारोह के इस बार अलग ही रंग होंगे। समारोह हर साल की तरह भव्यता के साथ तो आयोजित होगा ही, साथ ही इस साल और नए आयाम जोड़े गए हैं। तानसेन समारोह में प्रस्तुति देने आ रहे ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधकों अर्थात कलाकारों की सूची जारी कर दी गई है। साथ ही संगीत महफिल के कलाकार भी तय हो गए हैं।

जनसम्पर्क अधिकारी हितेन्द्र सिंह भदौरिया ने रविवार को बताया कि संगीत शिरोमणि तानसेन की याद में आयोजित होने वाला शास्त्रीय संगीत का यह सालाना महोत्सव शताब्दी वर्ष की दहलीज के नजदीक पहुंच चुका है। इस बार मुख्य तानसेन समारोह से दो दिन पहले यानी 22 दिसम्बर को ग्वालियर में 15 स्थानों पर “तानसेन संगीत महफिल” सजेगी, तो एक दिन पहले 23 दिसंबर को पूर्वरंग “गमक” का भी आयोजन होगा। जिसमें देश और दुनियाभर में सूफियाना गायकी का परचम लहरा रहीं रिचा शर्मा सूफियाना कलाम प्रस्तुत करेंगी। समारोह के तहत विशेष सभा-ताल दरबार में 1500 तबला वादक एक साथ बैठकर समवेत रूप से तबला वादन करेंगे। इस बार तानसेन समारोह का यह 99वां संस्करण है।

राज्य शासन के संस्कृति विभाग के लिए जिला प्रशासन एवं नगर निगम ग्वालियर के सहयोग से उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल का यह प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन इस बार भी ग्वालियर में 24 से 28 दिसंबर के बीच हजीरा स्थित संगीत सम्राट तानसेन के समाधि स्थल पर होने जा रहा है। सुरों के इस समागम में देश-विदेश के प्रतिष्ठित और ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर स्वरांजलि अर्पित करने आ रहे हैं।

अलंकरण समारोह 24 दिसम्बर को

तानसेन समारोह का औपचारिक शुभारंभ 24 दिसंबर को अलंकरण समारोह के साथ होगा। इस दिन सुबह सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर शहनाई वादन, ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा एवं मीलाद वाचन से समारोह का पारंपरिक शुभारंभ होगा। शाम 7 बजे अलंकरण समारोह में देश के मूर्धन्य शास्त्रीय गायक पं. गणपति भट्ट हासणगि धारवाड़ को वर्ष 2022 के तानसेन अलंकरण से विभूषित किया जाएगा। इसके बाद सांगीतिक सभाओं की शुरुआत होगी। समारोह में 10 संगीत सभाएं होंगी।

समारोह के अंतर्गत राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में दो दिन 26 एवं 27 दिसंबर को अपरान्ह 3 बजे से वादी-संवादी कार्यक्रम के तहत आमंत्रित कलाकार प्रदर्शन सह व्याख्यान देंगे।

कला प्रदर्शनी एवं रंग संभावना कार्यशाला

समारोह के दौरान 22 व 23 दिसम्बर को दोपहर 2 बजे से 8 बजे तक जयविलास पैलेस परिसर में कला प्रदर्शनी लगाई जायेगी। तानसेन समारोह स्थल पर 24 से 27 दिसम्बर तक ललित कला प्रदर्शनी भी लगेगी।

सायंकालीन सभा 24 दिसम्बर - तानसेन समाधि स्थल

सभा का शुभारंभ पारंपरिक रूप से शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में तानसेन सम्मान से विभूषित कलाकार पं. गणपति भट्ट हासणगि धारवाड़ का गायन, ग्वालियर के ख्यातिनाम गायक यखलेश बघेल का ध्रुपद गायन, पद्मश्री एन राजम एवं संगीता शंकर (वाराणसी), मुम्बई की वायोलिन जुगलबंदी और सुविख्यात शास्त्रीय गायक निर्मल्य डे दिल्ली के ध्रुपद गायन की प्रस्तुति होगी।

प्रात: कालीन सभा 25 दिसम्बर - तानसेन समाधि स्थल

इस सभा का शुभारंभ राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। सभा में सुमित आनंद दिल्ली का ध्रुपद गायन, ईशान घोष मुम्बई का तबला वादन, मधुमिता भट्टाचार्य उपाध्याय वाराणसी का गायन और उस्ताद लतीफ खां मुम्बई व उस्ताद सरवर हुसैन कोलकाता की सारंगी जुगलबंदी की प्रस्तुति होगी।

सायंकालीन सभा 25 दिसम्बर - तानसेन समाधि स्थल

इस सभा का आरंभ तानसेन संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में विनय रामदासन पुणे का गायन, सुविख्यात शास्त्रीय गायक आनंद कुमार मलिक दिल्ली का गायन, अखिलेश गुंदेचा एवं साथियों द्वारा पखावज वृंद वादन, भाग्येश मराठे पुणे का गायन और मूर्धन्य गायक पद्मश्री पं. उल्हास पुणे का गायन होगा।

प्रात:कालीन सभा 26 दिसम्बर - तानसेन समाधि स्थल

इस सभा के आरंभ में भारतीय संगीत महाविद्यालय ग्वालियर की ध्रुपद प्रस्तुति होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत नथाली रामिरेज मैक्सिको का बांसुरी वादन, पारूल दीक्षित उपाध्याय ग्वालियर का गायन, पं. चिंतन उपाध्याय पुणे का ध्रुपद गायन, अनुपमा भागवत बैंगलोर का सितार वादन और पद्मिनी राव बैंगलोर का गायन होगा।

सायंकालीन सभा 26 दिसम्बर - तानसेन समाधि स्थल

इस सभा की शुरुआत शंकर गांधर्व संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत अफगानिस्तान के जनाब सुल्तान मसूद का वायोलिन वादन, हेमांगी नेने हैदराबाद का गायन, जनाब अमान-अयान अली बंगश दिल्ली की सरोद जुगलबंदी, पं. रघुनंदन पणशीकर पुणे का गायन एवं पद्मश्री पं. विजय घाटे पुणे के तबला वादन की प्रस्तुति होगी।

प्रात: कालीन सभा 27 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल

इस सभा की शुरुआत पारंपरिक रूप से साधना संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत मोहम्मद अलनुमा ईराक द्वारा प्रस्तुति दी जायेगी। इसके बाद अनिल दण्डौतिया मुरैना का गायन, हिमांशु विश्वरूप खैरागढ़ का वायोलिन वादन, गीतिका उमड़ेकर पुणे का गायन एवं जयदीप घोष कोलकाता के सरोद वादन की प्रस्तुति होगी।

प्रात: कालीन सभा 27 दिसम्बर – बटेश्वर

इस सभा में एकता जैन मुरैना का गायन, आचार्य दिव्येश गोस्वामी इंदौर का पखावज वादन एवं पं. राजेन्द्र प्रसन्ना दिल्ली का बांसुरी वादन होगा।

सायंकालीन सभा 27 दिसम्बर - तानसेन समाधि स्थल

सभा की शुरुआत पारंपरिक रूप से ध्रुपद केन्द्र ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत लोइक सैनलाविले फ्रांस का गिटार वादन, समीर भालेराव झांसी का गायन, पद्मश्री पं. सिरकाली शिवा चिदम्बरम चेन्नई द्वारा कर्नाटक संगीत शैली में गायन, ओंकार दादरकर का गायन एवं लक्ष्य मोहन एवं आयुष मोहन दिल्ली द्वारा सितार-सरोद जुगलबंदी प्रस्तुत की जायेगी।

प्रात: कालीन सभा 28 दिसम्बर – बेहट

सभा के प्रारंभ में ध्रुपद केन्द्र बेहट का ध्रुपद गायन होगा। इसके बाद अनिकेत तारलेकर ग्वालियर का वायोलिन वादन सुजल जैन ग्वालियर का गायन एवं पं. उदय कुमार मलिक दिल्ली के ध्रुपद गायन की प्रस्तुति होगी।

अंतिम संगीत सभा (सायंकाल) – 28 दिसम्बर, गूजरी महल

सभा की शुरुआत ध्रुपर केन्द्र भोपाल और सारदा नाद मंदिर ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके पश्चात विश्व संगीत के तहत अरिशा एरियन का चेलो वादन, दीपिका वरदराजन चेन्नई का गायन एवं श्रुति अधिकारी व साथियों द्वारा पंचनाद की प्रस्तुति दी जायेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/वीरेन्द्र/वीरेन्द्र