भारत की बढ़ती स्वदेशी रक्षा क्षमता ने निर्यात के लिए दरवाजे खोले : एयर चीफ

 


- स्वदेशी एयरोस्पेस प्लेटफॉर्म दुनिया की वायु सेनाओं के लिए विश्वसनीय विकल्प बने

- ग्लोबल साउथ के देशों की चिंताओं को उठाने में भारत की सक्रिय भूमिका पर जोर

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने शुक्रवार को कहा है कि भारत की बढ़ती स्वदेशी रक्षा क्षमता ने पहले से ही साझेदारी और निर्यात के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। हल्के लड़ाकू विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर और आकाश मिसाइल सिस्टम और रडार जैसे स्वदेशी एयरोस्पेस प्लेटफॉर्म दुनिया की वायु सेनाओं के लिए विश्वसनीय विकल्प बन गए हैं। इस कार्यक्रम में वायु सेना के दो अधिकारियों की पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी आज नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित 20वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज ने 'भारत और वैश्विक दक्षिण: चुनौतियां और अवसर' विषय पर यह सेमिनार आयोजित किया गया था। एयर चीफ मार्शल ने अपने उद्घाटन भाषण में ग्लोबल साउथ के देशों की चिंताओं को उठाने में भारत की सक्रिय भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने वायु शक्ति की प्रासंगिकता, रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने और वैश्विक दक्षिण की सामूहिक उन्नति में योगदान देने के लिए भारतीय वायुसेना की आवश्यकता पर बात की।

उन्होंने कहा कि साझेदार देशों के साथ नियमित प्रशिक्षण गतिविधियों के दौरान भारतीय वायु सेना ने संचालन और रखरखाव में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया है। उन्होंने भारतीय सैन्य सलाहकार टीमों की भूमिका, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के माध्यम से पेश किए गए पाठ्यक्रमों का भी उल्लेख किया, जिसने नागरिक और रक्षा दोनों क्षेत्रों में 2 लाख से अधिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने का मार्ग प्रशस्त किया। सीएएस ने बताया कि पिछले नौ वर्षों में भारतीय वायुसेना ने ग्लोबल साउथ के देशों से 5000 से अधिक विदेशी प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि एलसीए, एलसीएच, आकाश मिसाइल सिस्टम और रडार जैसे स्वदेशी एयरोस्पेस प्लेटफॉर्म ग्लोबल साउथ की वायु सेनाओं के लिए प्रतिस्पर्धी और विश्वसनीय विकल्प प्रदान करते हैं, जिससे भारत के आर्थिक और तकनीकी दबदबे को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बचाव एवं राहत कार्यों के संचालन में भारतीय वायुसेना की भूमिका को दोहराया, जिसने वैश्विक दक्षिण में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को और मजबूत किया है। इस कार्यक्रम में वायु सेना प्रमुख ने दो पुस्तकों का विमोचन भी किया। इनमें एयर मार्शल (डॉ.) दीप्तेंदु चौधरी (सेवानिवृत्त) की पुस्तक 'इंडियन एयर पावर: कंटेम्परेरी एंड फ्यूचर डायनेमिक्स' और एयर वाइस मार्शल सुरेश सिंह की 'एयरोइंजन फंडामेंटल्स एंड लैंडस्केप इन इंडिया: ए वे फॉरवर्ड' पुस्तक है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/दधिबल