यूनाइटेड नेशन्स फोरम ऑन फॉरेस्ट की बैठक की मेजबानी करेगा भारत

 


नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (हि.स.)। भारत जंगल में लगने वाली आग और वन प्रमाणीकरण पर विचार-विमर्श के लिए ‘यूनाइटेड नेशन्स फोरम ऑन फॉरेस्ट’ की तीन दिवसीय बैठक की मेजबानी करने जा रहा है। 26 से 28 अक्टूबर तक वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में यूनाइटेड नेशन्स फोरम ऑन फॉरेस्ट के हिस्से के रूप में कंट्री लेड इनीशिएटिव (सीएलआई) कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में बताया कि यूनाइटेड नेशन्स फोरम ऑन फॉरेस्ट सभी प्रकार के वनों के प्रबंधन, संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देता है। भारत को इसका संस्थापक सदस्य होने का गौरव प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2017 से 2030 तक की अवधि के लिए वनों के लिए पहली संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक योजना को अपनाया है। यह रणनीतिक योजना वनों के बाहर स्थित वृक्षों और वनों की कटाई एवं वन क्षति रोकने के साथ-साथ सभी प्रकार के वृक्षों का स्थायी प्रबंधन हासिल करने को लेकर सभी स्तरों पर कार्रवाई के लिए एक वैश्विक ढांचे के रूप में कार्य करती है। मंत्रालय के अनुसार औपचारिक बैठक 26 अक्टूबर को शुरू होगी। इस कार्यक्रम में मार्गदर्शक विषयों- जंगल में लगने वाली आग और वन प्रमाणीकरण- पर दो दिवसीय विचार-विमर्श का आदान-प्रदान और एक दिवसीय क्षेत्र की यात्रा शामिल है।

इस बैठक में 40 से अधिक देशों और 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 80 से अधिक प्रतिनिधि व्यक्तिगत या ऑनलाइन रूप से भाग लेंगे। यह उम्मीद है कि इस बैठक में जंगल में लगने वाली आग और वन प्रमाणीकरण के प्रबंधन के लिए लागू किए जाने योग्य ढांचे और सिफारिशें सामने आएंगी, जिनसे सतत वन प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा। इसके बारे में मई 2024 में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाले यूएनएफएफ के 19वें सत्र में विचार किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/आशुतोष/पवन