भारत ने पेट्रापोल के माध्यम से बांग्लादेश को निर्यात रोका, विरोध का असर दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर

 


कोलकाता, 20 जुलाई (हि.स.)। बांग्लादेश में हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन का असर भारत-बांग्लादेश व्यापार पर भी पड़ा है। शनिवार सुबह से बांग्लादेश को पेट्रापोल बॉर्डर से निर्यात बंद कर दिया गया है। साथ ही आयात भी धीमी गति से हो रही है और बांग्लादेश से भारत आने वाले यात्रियों की संख्या में भी कमी आई है। इसके चलते मुद्रा विनिमय और स्थानीय परिवहन व्यवसाय पर भी असर पड़ा है।

बांग्लादेश में छात्रों द्वारा सरकारी नौकरियों में मुक्ति वाहिनी योद्धा परिजनों को कोटा देने के फैसले को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। शनिवार सुबह तक पुलिस और प्रशासन के साथ संघर्ष में 105 लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार रात से बांग्लादेश में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है और सड़कों पर सेना तैनात है। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इस माहौल में शनिवार सुबह 35 ट्रक माल पेट्रापोल के माध्यम से बांग्लादेश भेजा गया, लेकिन इसके बाद निर्यात बंद कर दिया गया।

ये है निर्यात रोकने का कारण

पेट्रापोल क्लियरिंग फॉरवर्डिंग एजेंट के सचिव कार्तिक चक्रवर्ती ने निर्यात रोकने का कारण बताते हुए कहा, हमने एलपीआई (लैंड पोर्ट अथॉरिटी) के साथ चर्चा के बाद निर्यात को रोका। हम पानापोल के लोगों के साथ संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इंटरनेट सेवा बंद होने के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इससे माल भेजने को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गई।

कार्तिक ने बताया कि बांग्लादेश में जो भारतीय चालक फंसे हुए हैं, उन्हें वापस लाने की व्यवस्था की जाएगी। स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी चिंताजनक है। यदि बांग्लादेश से स्थिति के सामान्य होने का आधिकारिक संदेश प्राप्त होता है तो निर्यात फिर शुरू किया जाएगा।

व्यापार और यातायात पर प्रभाव

पेट्रापोल से आने वाले यात्रियों की संख्या में कमी आई है, जिससे मुद्रा विनिमय पर असर पड़ा है। स्थानीय वाहन व्यवसायी भी इससे प्रभावित हुए हैं। हाल ही में बांग्लादेश गए न्यू बैरकपुर निवासी विश्वनाथ दास ने बताया कि उन्हें किसी तरह वापस आना पड़ा। उन्होंने कहा, बांग्लादेश में गाड़ियां और बसें नहीं चल रही हैं। दुकानें बंद हैं। मैं बाइक पर किसी तरह आया हूं। मेरी वीजा की अवधि दो दिन में खत्म हो रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर / संजीव पाश