हिमाचल प्रदेश वार्षिकी 2025: आपदाओं की मार और आर्थिक तंगी के बीच गुजरा साल
-इस साल सुर्खियों में रहा चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामला
शिमला, 25 दिसंबर (हि.स.)। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के लिए साल 2025 एक ऐसे वर्ष के रूप में दर्ज होगा, जिसमें प्रकृति का कहर, कमजोर आर्थिक हालात, सियासी खींचतान और कुछ गंभीर आपराधिक मामलों ने एक साथ राज्य की दिशा और दशा को प्रभावित किया। पूरे साल प्रदेश किसी न किसी संकट से जूझता रहा। दूसरी तिमाही से अंत तक जनजीवन पर असर डालने वाली घटनाओं में सबसे अहम रहा विनाशकारी मानसून, जबकि वर्ष के दौरान हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत का मामला भी लगातार सुर्खियों में बना रहा और इसने प्रशासन व राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा की।
साल 2025 की सबसे बड़ी और निर्णायक घटना दक्षिण-पश्चिम मानसून रही। 20 जून को प्रदेश में पहुंचा मानसून इस बार सामान्य से पहले तो विदा हो गया, लेकिन जाते-जाते तबाही की गहरी लकीरें छोड़ गया। करीब तीन महीने तक सक्रिय रहे इस मानसून ने हिमाचल के पहाड़ी इलाकों को बुरी तरह झकझोर दिया। राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक भूस्खलन, बादल फटने और फ्लैश फ्लड की सैकड़ों घटनाओं में 454 लोगों की मौत हुई, 50 लोग लापता रहे और सैकड़ों घायल हुए। मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, चम्बा और शिमला जिले सबसे अधिक प्रभावित रहे।
मानसून के दौरान 1,700 से अधिक मकान पूरी तरह ढह गए, जबकि हजारों घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। सड़कें, पुल, जल परियोजनाएं और बिजली ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ। सरकारी आकलन के मुताबिक इस प्राकृतिक आपदा से प्रदेश को लगभग 4863 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। हालात की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने हिमाचल को आपदा राज्य घोषित किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई निरीक्षण किया, कांगड़ा में पीड़ितों से मुलाकात की और 1,500 करोड़ रुपये की विशेष राहत का एलान किया। इसके अलावा राज्य सरकार ने भी अपने स्तर पर राहत पैकेज घोषित कर प्रभावितों को सहायता देने की कोशिश की। इसी साल में राज्य को नए मुख्य सचिव संजय गुप्ता और नए डीजीपी अशोक तिवारी की भी नियुक्ति हुई।
मानसून समाप्त होने के बाद भी आपदाओं का सिलसिला पूरी तरह थमा नहीं। अक्टूबर में दिवाली से कुछ दिन पहले बिलासपुर जिले के बरठीं के पास चलती बस पर पहाड़ टूटने से 16 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। हालांकि इस दुर्घटना में सीट के नीचे छिपकर बच गए दो मासूम बच्चों की कहानी ने लोगों को भावुक भी किया और इस घटना ने पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा और भूस्खलन की पुरानी समस्या को एक बार फिर सामने ला दिया।
सियासी मोर्चे पर साल 2025 का अंत पंचायत चुनाव न हो पाने को लेकर चर्चा में रहा। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर हार के डर से चुनाव टालने का आरोप लगाया। वहीं राज्य सरकार का कहना रहा कि आपदा के चलते कई इलाकों में सड़कें और रास्ते बंद हैं और आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू होने के कारण हालात सामान्य होने के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली।
इसी साल कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति भी अहम सियासी घटनाओं में शामिल रही, क्योंकि इन्हीं नेताओं के नेतृत्व में 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ा जाना है। कांग्रेस ने सबको चौंकाते हुए प्रतिभा सिंह की जगह अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले तीन बार के विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। भाजपा ने राजीव बिंदल पर एक बार फिर भरोसा जताया। अक्टूबर में पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर अनावरण भी एक बड़ा राजनीतिक और भावनात्मक आयोजन रहा, जिसमें सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मौजूद रहे। साल के अंत में कांग्रेस ने मंडी में सरकार के तीन साल पूरे होने का जश्न मनाया, तो जवाब में भाजपा ने शिमला में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैली कर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश की।
आर्थिक मोर्चे पर 2025 हिमाचल के लिए राहत भरा नहीं रहा। राज्य की कमजोर वित्तीय स्थिति लगातार सुर्खियों में रही। कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलना, एचआरटीसी के सेवानिवृत्त कर्मियों का पेंशन के लिए सड़कों पर उतरना और विधानसभा सत्रों में माली हालत पर तीखी बहसें आम रहीं। साल की शुरुआत कर्मचारियों के लिए खास तौर पर असहज रही, जब पहली बार वेतन पांच तारीख को मिला। इससे हजारों कर्मचारियों को घरेलू आर्थिक प्रबंधन में दिक्कतें झेलनी पड़ीं। हालांकि बाद में सरकार ने वेतन और पेंशन भुगतान को नियमित रखने का भरोसा दिलाया, जो वर्ष भर काफी हद तक बना रहा, लेकिन पौने चार लाख कर्मचारी और पेंशनर अपने लंबित वित्तीय लाभों का इंतजार करते रहे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सार्वजनिक मंचों पर यह स्वीकार किया कि राज्य की आर्थिक हालत कमजोर है। उन्होंने इसके लिए पिछली भाजपा सरकार और केंद्र से पर्याप्त मदद न मिलने को जिम्मेदार ठहराया। वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस सरकार पर खर्चों में कटौती न करने और लगातार कर्ज लेने का आरोप लगाया।
अपराध जगत में भी साल 2025 कई मामलों के कारण चर्चा में रहा। इनमें सबसे गंभीर और संवेदनशील मामला हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत का रहा। 10 मार्च को वह शिमला से लापता हुए और आठ दिन बाद 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर की गोविंदसागर झील के किनारे मिला। परिजनों द्वारा अधिकारियों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए जाने के बाद मामला इतना गंभीर हुआ कि हाईकोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने बीएनएस की धारा 108 के तहत केस दर्ज किया और एक पुलिस कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया, जिसे डेढ़ महीने बाद जमानत मिल गई। तत्कालीन एमडी हरिकेश मीणा और निदेशक देशराज के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई, हालांकि सभी नामजद आरोपियों को अदालत से अग्रिम जमानत मिल गई। जांच के दौरान प्रशासन और पुलिस तंत्र में भी बड़े फेरबदल देखने को मिले।
इसके अलावा शिमला के प्रतिष्ठित बीसीएस स्कूल के तीन छात्रों के अपहरण की घटना ने प्रदेश को हिला दिया। हालांकि पुलिस ने 24 घंटे के भीतर बच्चों को सकुशल बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। साइबर ठगी और निवेश घोटालों के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। बहुचर्चित युग हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आया, जब हाईकोर्ट ने दो दोषियों की फांसी को उम्रकैद में बदला और एक आरोपी को बरी कर दिया, जिसे पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। नशे, खासकर चिट्टे के बढ़ते मामलों ने भी समाज और प्रशासन की चिंता बढ़ाई। इसके खिलाफ सरकार ने जागरूकता अभियानों और वॉकथॉन का आयोजन किया।
साल के अंत में आईजीएमसी शिमला में मरीज के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने से हड़कंप मच गया। पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव निरुला द्वारा वार्ड में सो रहे मरीज की पिटाई के मामले में सुक्खू सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया। जांच में इसे सरकारी सेवा आचरण और रेजिडेंट डॉक्टर नीति-2025 का उल्लंघन माना गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा