बांग्लादेश जा रहे ट्रक रोके जाने से सीमावर्ती इलाके में तनाव
प्रदर्शनकारियों का अल्टीमेटम - बांग्लादेश में जब तक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती तब तक अनाज का एक दाना भी नहीं जाने देंगे
उत्तर 24 परगना, 30 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल–बांग्लादेश सीमा पर एक बार फिर तनाव फैल गया है। मंगलवार सुबह से उत्तर 24 परगना के घोजाडांगा, मालदा के घोछिया तथा सिलीगुड़ी के समीप फुलबाड़ी सीमा पर कई हिंदू युवा संगठनों ने बांग्लादेश जा रहे खाद्यान्न लदे ट्रकों को रोककर जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा है कि “भारत से बांग्लादेश एक दाना अनाज भी नहीं जाएगा।”
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जैसे ही चावल, दाल और अन्य आवश्यक वस्तुओं से लदे ट्रक सीमा चौकियों की ओर बढ़े, प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम कर दिया। नारेबाजी शुरू हुई और कई स्थानों पर धरना दिया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बांग्लादेश में लगातार हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं, इसके बावजूद भारत से खाद्य सामग्री और जरूरी सामान की आपूर्ति सामान्य रूप से जारी है। ऐसे में ट्रकों को रोकना उनका नैतिक विरोध है।
घोजाडांगा सीमा पर सुबह से ही माल ढुलाई लगभग पूरी तरह ठप हो गई। सड़कों पर ट्रकों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे वाहन चालकों और परिवहन कारोबार से जुड़े लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई ट्रक चालकों ने बताया कि सभी वैध कागजात होने के बावजूद वे सीमा पार नहीं कर पा रहे हैं, जिससे समय पर माल पहुंचाने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
सूचना मिलते ही पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों के साथ कई दौर की बातचीत की गई। प्रशासन की ओर से बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सीमा पार माल की आवाजाही केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के तहत संचालित होती है, इसे स्थानीय स्तर पर बलपूर्वक रोकना कानूनन उचित नहीं है। हालांकि, स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए कुछ मार्गों पर अस्थायी रूप से ट्रक आवाजाही को नियंत्रित किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने दोहराया कि यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आक्रोश की अभिव्यक्ति है। उनकी मांग है कि जब तक पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, तब तक खाद्यान्न आपूर्ति रोकी जाए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि आवश्यकता पड़ने पर आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
इधर, प्रशासनिक हलकों में इस घटना को अत्यंत संवेदनशील माना जा रहा है। सीमा पर निर्यात रुकने से भारत–बांग्लादेश के द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ सकता है, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है। हालात पर नजर रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी बढ़ा दी गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता