दिल्ली हाई कोर्ट ने तय की अंग प्रत्यारोपण के लिए टाइमलाइन, दस दिनों में होनी चाहिए अंगदान प्रक्रिया

 


नई दिल्ली, 04 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने अंग प्रत्यारोपण के मामले में टाइमलाइन तय करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा है कि अंग प्रत्यारोपण के लिए मिले आवेदन पर कमेटी दस दिनों के अंदर विचार करे और अंगदान की पूरी प्रक्रिया छह से आठ हफ्ते में पूरी होनी चाहिए।

हाई कोर्ट ने कहा कि टाइमलाइन का पालन नहीं होने से अंग प्रत्यारोपण पर फैसला करने में दो से तीन साल तक लग जाते हैं और इससे अंग प्रत्यारोपित कराने वाले और अंगदान करने वाले दोनों की परेशानी बढ़ती है। हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन आर्गन्स एंड टिशूज रुल्स के तहत जारी प्रोटोकॉल को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरुरत है और ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य के अधिकार के लिए भी जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि मानवीय गरिमा को कम करने वाला कानून जीवन के अधिकार का आंशिक रूप से उल्लंघन करता है, इसलिए ऐसे अवरोध को दूर करने की जरूरत है।

हाई कोर्ट ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए मिले आवेदन की प्रक्रिया दस दिनों के अंदर होनी चाहिए। इसके बाद अंग प्रत्यारोपित कराने वाले और अंगदान करने वाले दोनों के दस्तावेजों के वेरिफिकेशन में 14 दिनों से ज्यादा नहीं लगना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अंग प्रत्यारोपित कराने वाले और अंगदान करने वाले को जरुरी दस्तावेजों के बारे में नियम के मुताबिक सूचित किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए मिले आवेदन की तिथि से 4 से 6 हफ्ते के अंदर दोनों पक्षों का इंटरव्यू तय किया जाना चाहिए। कोर्ट ने साफ किया कि पूरी प्रक्रिया 6 से 8 हफ्ते के अंदर पूरी होनी चाहिए। इसके अलावा अगर कमेटी के फैसले के खिलाफ कोई अपील करता है तो उस पर 30 दिनों के अंदर फैसला होना चाहिए।

दरअसल, हाई कोर्ट में 2020 में बरेली के अमर सिंह भाटिया नामक व्यक्ति ने याचिका दायर कर गंगाराम अस्पताल की ओर से जल्द फैसला नहीं करने को चुनौती दी थी। अमर सिंह भाटिया को किडनी ट्रांसप्लांट करने की जरूरत थी। अमर सिंह की मौत हाई कोर्ट में केस लंबित रहने के दौरान ही अप्रैल, 2021 को मौत हो गई।

हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत