पूर्व राष्ट्रपति और संघ के सरकार्यवाह ने कहा- हिन्दवी स्वराज आदर्श राज व्यवस्था, शिवाजी एक महानायक
नई दिल्ली, 31 जुलाई (हि.स.)। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का मानना है कि शिवाजी महाराज का हिन्दवी स्वराज एक आदर्श राज व्यवस्था थी और वह सर्वकालिक है। शिवाजी महाराज की राज व्यवस्था धर्माधारित और समाज के सभी वर्गों के कल्याण के साथ ही सच्ची पंथनिरपेक्षता पर आधारित थी। वह राज व्यवस्था आज भी प्रासंगिक है। उसी मार्ग पर चलकर हम एक सशक्त और समर्थ राज व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति ने यह बात छत्रपति शिवाजी और उनके हिन्दवी स्वराज पर आधारित 4 पुस्तकों का लोकार्पण करते हुए कही। समारोह के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले रहे।
नई दिल्ली नगर निगम कन्वेंशन सेंटर के सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह को संबोधत करते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छत्रपति शिवाजी महाराज को इतिहास में जो उचित स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। जबकि उनकी हिन्दवी स्वराज की अवधारणा ने सम्पूर्ण देश में प्रभाव डाला था। वस्तुतः शिवाजी महाराज सच्चे अर्थों में भारत भाग्य विधाता थे। वे एक योद्धा, दूरदर्शी नेता और प्रख्यात शासक थे। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि सभी को जीवन में एक बार रायगड़ किले जाकर उस स्थान के दर्शन अवश्य करने चाहिए, जहां शिवाजी ने मुगलिया सल्तनत के बीच भारत के सम्मान और स्वाभिमान के प्रतीक हिन्दवी स्वराज की स्थापना की थी।
समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि शिवाजी का नाम लेते ही, उनके स्मरण मात्र से ही देशभक्ति की ऊर्जा प्रकट होने लगती है। जब हमारी भाषा, संस्कृति को नष्ट भ्रष्ट कर, मंदिरों का विध्वंस कर समाज की चेतना सुप्त हो गई थी, तब शिवाजी महाराज ने अटक से कटक तक और कन्याकुमारी से तंजाबुर तक संघर्ष करने के बाद अपना राज्यारोहण केवल इसलिए कराया था ताकि सब ओर एक संदेश फैल सके कि हम जीवित हैं, फिर से खड़े होंगे और जीतेंगे। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने भले मराठाओं की सेना का नेतृत्व किया पर सम्पूर्ण भारत में मुगलों से संघर्ष किया और जब राज्य स्थापित किया तो उसका नाम हिन्दवी स्वराज रखा, न कि मराठा साम्राज्य।
होसबाले ने आगे कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्ध नीति और राज व्यवस्था केवल भारत के लिए ही नहीं तो विश्व भर के लिए एक आदर्श है। उन्होंने कहा कि वे इसकी सचाई का दावा नहीं करते लेकिन अनेक स्थानों पर उल्लेख मिलता है कि अमेरिका के खिलाफ जंग जीतने के बाद वियतनाम के लीडर हो ची मिन्ह ने कहा था कि उनकी प्रेरणा शिवाजी थे। दुर्भाग्य से हमारे देश के नायकों के बारे में एक गलत धारणा फैलायी गई, पाठ्य पुस्तकों में इतिहास को विकृत किया गया ताकि हम उनसे प्रेरणा न ले सकें। लेकिन शिवाजी महाराज सरीखे महापुरुषों का गौरव मिटाया नहीं जा सकता। वे लोगों के दिलों में विराजते हैं, चिरंजीवी हैं और हजारों वर्षों तक हमें देश के लिए जीने और देश के लिए मरने की प्रेरणा देते रहेंगे।
इस समारोह में मूलतः मराठी में लिखी गईं 4 पुस्तकों के हिन्दी व अंग्रेजी संस्करण का लोकार्पण किया गया। ये पुस्तकें हैं- छत्रपति शिवाजी महाराज, स्वराज संरक्षण का संघर्ष, अठारहवीं शताब्दी का स्वराज और छत्रपति शिवाजी महाराज न होते तो। समारोह का आयोजन हिन्दवी स्वराज स्थापना महोत्सव आयोजन समिति (दिल्ली), श्री शिवाजी रायगड़ स्मारक मंडल (पुणे) और श्री भारती प्रकाशन (नागपुर) ने संयुक्त रूप से किया था। आयोजन के सूत्रधार वैभव डांगे थे।
ये पुस्तकें छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य से जुड़े अनेक पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं। इन पुस्तकों के अध्ययन से पता चलता है कि कैसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदू समाज को संगठित किया और स्वतंत्रता की भावना को जगाया। उन्होंने मुगलों को देश से निकाल बाहर करने और दिल्ली का सिंहासन जीतने का विशाल ध्येय अपने अंतःकरण में सहेज कर रखा हुआ था। अठारहवीं शताब्दी में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन हुआ और मराठों ने अपना साम्राज्य विस्तार किया। छत्रपति शाहू जी महाराज के नेतृत्व में मराठों ने हिंदू संस्कृति के उत्थान के कार्य किए, मंदिरों का जीर्णोद्धार किया, विद्वानों को आश्रय दिया और कृषि उत्पादन बढ़ाया। मराठा राज्य की व्यवस्था संतुलित थी और हिंदू जीवन मूल्यों पर आधारित थी। शिवाजी महाराज एक महान हिंदू राजा थे, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और हिंदवी स्वराज की स्थापना की।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी / आकाश कुमार राय