राम राज्य का आदर्श भारत के संविधान में निहित: उपराष्ट्रपति

 




जयपुर, 13 जनवरी (हि.स.)। विश्व इलेक्ट्रोपैथी दिवस के उपलक्ष्य में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा परिषद के तत्वावधान में शनिवार को झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में 13वीं राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। रीनल डिसऑर्डर्स एंड इलेक्ट्रोपैथी अप्रोच विषय पर आयोजित सेमिनार के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ थे। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अति विशिष्ट अतिथि और उप मुख्यमंत्री एवं आयुर्वेद मंत्री प्रेमचंद बैरवा विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत असीम संभावनाओं का देश है और एम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों ने रिसर्च कर इलेक्ट्रोपैथी जैसी पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ाया है, जो गर्व की बात है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुझे बहुत पीड़ा होती है जब कोई अज्ञानी, इतिहास से अनभिज्ञ, हलफनामा दे देते हैं कि राम काल्पनिक हैं। उन्होंने कहा कि राम और राम-राज्य का आदर्श भारत के संविधान में निहित है। धनखड़ ने बताया कि हमारे संविधान में 20 से ज्यादा चित्र हैं और उनमें मौलिक अधिकारों के ऊपर जो चित्र है उसमें राम-लक्ष्मण-सीता हैं। जो लोग भगवान राम का निरादर कर रहे हैं, वास्तव में वह हमारे संविधान निर्माताओं का अनादर कर रहे हैं, जिन्होंने बहुत सोच समझकर विवेकपूर्ण तरीके से प्रभु राम के उन चित्रों को वहां रखा है।

उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के साथ अपने संबंधों का जिक्र कर उपराष्ट्रपति ने बताया कि मैं पिछले साल सितंबर में धन्ना भगत जाट की जन्मस्थली चौरू धाम, दूदू जाना चाहता था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने कह दिया कि यहां पर हेलीकॉप्टर नहीं उतर पाएगा। स्वाभाविक है कि लोग चाहते हैं कि जब अपनों में से कोई ऊपर जाता है तो हम उसका स्वागत भी करें और अपेक्षा भी रखते हैं। तब बैरवा के सुझाव पर एक किसान रामू लाल जी भामू ने जिलाधीश को लिखकर दिया कि मेरा खेत ले लो जिसमें तीनों हेलीकॉप्टर एक साथ उतर सकते हैं।

जन स्वास्थ्य के संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने लोगों से आग्रह किया कि वे आयुर्वेद की हजारों सालों की पूंजी को अपनाएं। उन्होंने सरकार द्वारा औषधीय वनस्पतियों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की स्थापना को सराहनीय प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की तरह इलेक्ट्रो होम्योपैथी भी औषधीय वनस्पतियों के रस पर आधारित है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी को राजस्थान द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्य भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी का अनुमोदन करें, इसके लिए प्रयास होने चाहिए। इस क्रम में उन्होंने इलेक्ट्रो होमोयोपैथी के अभ्यासियों और संसद की स्वास्थ्य संबंधी समिति के बीच बैठक करवाने का प्रस्ताव भी किया।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इलेक्ट्रोपैथी के जनक काउंट सीजर मेटी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इलेक्ट्रोपैथी औषधियां विभिन्न रोगों में लाभकारी सिद्ध हुई हैं। हम गौरवान्वित हैं कि वर्ष 2018 में देश में पहली बार राजस्थान में इस पर एक्ट पारित किया गया। भारत वैकल्पिक और पारंपरिक चिकित्सा का अग्रणी देश रहा है और आजादी के अमृतकाल में हम इसे आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुख्यमंत्री ने उपस्थित चिकित्सा विशेषज्ञों को आश्वस्त किया कि इलेक्ट्रोपैथी के विकास के लिए राजस्थान सरकार यथासंभव प्रयास करेगी तथा इस क्षेत्र में होने वाले रिसर्च में भरपूर सहयोग के लिए तत्पर रहेगी। उपमुख्यमंत्री एवं आयुर्वेद मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया।

इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ. हेमंत सेठिया ने स्वागत भाषण के दौरान राजस्थान में इलेक्ट्रोपैथी बोर्ड को अविलंब लागू करने की मांग उठाई तथा विधानसभा के आगामी बजट सत्र में इलेक्ट्रोपैथी के लिए अलग से राशि आवंटन की मांग की। उन्होंने उपराष्ट्रपति से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जामनगर स्थित संस्थान में किए जा रहे पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के शोध कार्य में इलेक्ट्रोपैथी रिसर्च को बढ़ावा दिलाने का अनुरोध किया।

इस अवसर पर सांसद रामचरण बोहरा, चूरू सांसद राहुल कंसवा, विधायक गोपाल शर्मा, विधायक कालीचरण सराफ, पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी, पूर्व भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी, उप महापौर पुनीत कर्णावत एवं पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल सहित अनेक गण्यमान्य मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप/पवन