लाखों घरों में बिजली पहुंचा दी गई फिर भी देश में कोई लोड-शेडिंग नहीं : आरके सिंह

 


नई दिल्ली, 19 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत में बिजली की कमी 2014 के लगभग 4.5 प्रतिशत से घटकर आज 1 प्रतिशत से भी कम रह गई है।

सिंह ने आज नई दिल्ली में मनी-कंट्रोल के पॉलिसी नेक्स्ट समिट को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी देश तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक उसके पास पर्याप्त ऊर्जा शक्ति न हो। हमने 19 महीनों में 2 करोड़ 90 लाख घरों में बिजली पहुंचाई और फिर भी देश में कोई लोड-शेडिंग नहीं है।

आरके सिंह ने यहां पर विद्युत क्षमता वृद्धि और वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण का ब्यौरा देते हुए कहा कि पिछले नौ सालों में लगभग 194 गीगावॉट बिजली क्षमता जोड़ी गई है, जिसमें से 107 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा है। 19 लाख 30 हजार सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण किया।

आज बिजली आपूर्ति क्षमता को 36 गीगावॉट से बढ़ाकर 117 गीगावॉट कर दिया गया है। 3,000 सबस्टेशन जोड़े, 4000 सबस्टेशन अपग्रेड किए, 5.5 लाख सर्किट किमी एलटी लाइनों जोड़े। 2.5 लाख सर्किट किमी एचटी लाइनें जोड़ी। इसके साथ,7.5 लाख ट्रांसफार्मर और विविध अन्य उपकरण लगाए।

मंत्री ने कहा कि इन सबके परिणामस्वरूप हम ग्रामीण क्षेत्र में बिजली उपलब्धता 2015 में 12.5 घंटे से बढ़ाकर 21 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 23.8 घंटे तक लाने में सक्षम हुए हैं इसके साथ ही जेनरेटर के दिन लद गए। अब हमारे पास नियम है जो कहता है कि 24 घंटे सातों दिन बिजली अब एक अधिकार है और कोई भी डिस्कॉम अनावश्यक लोड-शेडिंग नहीं कर सकता है। यदि वे ऐसा करते है तो उन्हें जुर्माना देना होगा और उपभोक्ताओं को मुआवजा मिलेगा।

मंत्री ने कहा कि भारत भी एक ऐसे देश के रूप में उभरा है जो ऊर्जा परिवर्तन में सबसे आगे है और नवीनीकरणीय क्षमता वृद्धि की हमारी दर सबसे तेज़ रही है। हमारे पास 187 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता है। हमने संकल्प लिया था कि 2030 तक हम अपनी 40 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म-ईंधन से प्राप्त करेंगे। चूंकि, हमारी 44 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से है इसलिए हमने अब अपना लक्ष्य बढ़ा दिया है और हमने 2030 तक अपनी क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने का वादा किया है। मंत्री ने कहा कि हम 2030 तक अपनी क्षमता का 65 प्रतिशत गैर-जीवाश्म-स्रोतों से प्राप्त करेंगे।

मंत्री ने बताया कि पिछले नौ वर्षों में बिजली क्षेत्र में किया गया कुल निवेश 17 लाख करोड़ रुपये है और 17.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश पाइप लाइन में है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिजली क्षेत्र में बदलाव किया है और इसे व्यवहार्य बनाया है। एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल (एटी एंड सी) घाटे को 27 प्रतिशत से घटाकर 15.41 प्रतिशत कर दिया गया है। इसे हम और कम करके 10- 11 प्रतिशत पर लाना चाहते हैं।

मंत्री ने बताया कि 2014 में अधिकतम मांग 130 गीगावॉट के आसपास थी, जबकि आज यह मांग 243 गीगावॉट तक पहुंच गई है। 2030 तक बिजली की मांग 400 गीगावॉट को पार करने की संभावना है, यह अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि का संकेत है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष मांग 9 प्रतिशत की दर से बढ़ी और इस वर्ष 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। दैनिक आधार पर मांग पिछले वर्ष के समान दिन की तुलना में 8 गीगावॉट - 10 गीगावॉट अधिक है। हमारे जितना बड़ा और तेजी से बढ़ने वाला कोई दूसरा बाजार नहीं है।

मंत्री ने कहा कि हमारे पास पहले से ही 7 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन विनिर्माण की योजना है। 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता को पार कर जाएंगे। उन्होंने बताया कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी है क्योंकि कुछ देशों द्वारा सब्सिडी और संरक्षणवादी उपाय अपनाए जाने के बावजूद नवीकरणीय ऊर्जा की लागत दुनिया में सबसे सस्ती है। हम ऊर्जा भंडारण क्षमता भी जोड़ रहे हैं। हमारे पास लगभग 35 गीगावॉट पंप भंडारण परियोजनाओं की क्षमता है। हम बैटरी भंडारण क्षमता का भी निर्माण कर रहे हैं, हालांकि यह फिलहाल महंगी है। जब तक हमारे पास वॉल्यूम नहीं होगा, कीमत कम नहीं होगी।

मंत्री ने कहा कि सरकार ग्रिड-स्केल भंडारण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ला रही है जिससे भंडारण की कीमत में और कमी आएगी।सौर मॉड्यूल और सेल पर कस्टम ड्यूटी के साथ-साथ मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची जैसे हस्तक्षेपों के कारण मॉड्यूल निर्माण की क्षमता लगभग 20 गीगावॉट से बढ़कर अब लगभग 50 गीगावॉट हो गई है। 2030 तक हमारे पास लगभग 24 गीगावॉट पॉलीसिलिकॉन से लेकर मॉड्यूल निर्माण क्षमता होगी।

मंत्री ने कहा कि हालांकि हम पवन ऊर्जा उपकरणों के निर्माण में अग्रणी हैं, लेकिन घरेलू स्तर पर बड़ी क्षमता के पवन टर्बाइन का निर्माण करने की आवश्यकता है। एक समय आएगा जब 5 मेगावाट से कम की कोई भी टरबाइन स्वीकार नहीं किया जाएगा। बॉयलर और स्टीम टरबाइन जैसे थर्मल उपकरणों की विनिर्माण क्षमता में कमी आई है, इस क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है. इसलिए वह चाहते हैं कि उद्यमी एचवीडीसी ट्रांसमिशन लाइन के क्षेत्र में प्रवेश करें।

मंत्री ने कहा कि हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का एक तिहाई है। हमने 2030 के लक्ष्य वर्ष से 11 साल पहले, 2019 तक उत्सर्जन की तीव्रता को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता हासिल कर ली है। हमारे ऊर्जा-बचत कार्यक्रम विश्व-अग्रणी हैं। हमारी परफॉर्म अचीव ट्रेड योजना के परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन में 107 मिलियन टन प्रति वर्ष, हमारे एलईडी कार्यक्रम में 113 मिलियन टन प्रति वर्ष और स्टार रेटिंग कार्यक्रम में 57 मिलियन टन प्रति वर्ष की कमी आई है। हमारे पास निर्माण क्षेत्र के लिए भी ऊर्जा दक्षता का कार्यक्रम है, जो उत्सर्जन में कमी के संपूर्ण दायरे को कवर करता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/अनूप