वार्ष‍िकी : ड्रोन तकनीक में मध्य प्रदेश की ऊंची उड़ान, 2025 बना तकनीकी उपलब्धियों का निर्णायक वर्ष

 


भोपाल, 29 दिसंबर (हि.स.)। साल 2025 मध्य प्रदेश के लिए ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक वर्ष के रूप में उभरा। इस वर्ष राज्य ने एक सशक्त नीति के माध्यम से ड्रोन आधारित उद्योगों, स्टार्ट-अप्स और निवेश को आकर्षित करते हुए कृषि, शिक्षा, कौशल विकास और शासन-प्रशासन में ड्रोन के व्यावहारिक उपयोग से साबित किया कि तकनीक को विकास का वास्तविक औजार बनाने से विकास में तेजी लाई जा सकती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि मध्य प्रदेश अब पारंपरिक विकास मॉडल से आगे बढ़कर उच्च-तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ा चुका है।

2025 की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में “मध्य प्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति-2025” सामने आई। इस नीति का उद्देश्य राज्य को ड्रोन निर्माण, अनुसंधान, प्रशिक्षण और उपयोग का राष्ट्रीय केंद्र बनाना है। नीति के माध्यम से ड्रोन निर्माण इकाइयों को पूंजी सब्सिडी, अनुसंधान एवं विकास के लिए अनुदान, भूमि और लीज रेंट में रियायत तथा स्टाम्प ड्यूटी में छूट जैसे प्रोत्साहन दिए गए। इससे निजी निवेशकों और स्टार्ट-अप्स में उत्साह बढ़ा और राज्य में ड्रोन आधारित उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ।

ड्रोन नीति से हजारों युवाओं के लिए रोजगार की उपलब्‍धता

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह स्पष्ट किया कि ड्रोन तकनीक एक नई मशीन नहीं होने तक सीमित नहीं है, यह विकास, पारदर्शिता और रोजगार का सशक्त माध्यम है। उनके अनुसार मध्य प्रदेश की नीति का उद्देश्य युवाओं को नई तकनीक से जोड़ना, किसानों की लागत कम करना, शासन को अधिक प्रभावी बनाना और राज्य को तकनीकी नवाचार के नक्शे पर मजबूती से स्थापित करना है। मुख्यमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि ड्रोन नीति के माध्यम से राज्य आने वाले वर्षों में हजारों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करेगा और मध्य प्रदेश को निवेशकों की पहली पसंद बनाएगा।

ड्रोन तकनीक का सबसे प्रभावी उपयोग कृषि क्षेत्र में देखने को मिला। 2025 में कई जिलों में ड्रोन के माध्यम से फसलों की निगरानी, कीटनाशक और उर्वरक छिड़काव, भूमि सर्वेक्षण और फसल स्वास्थ्य आकलन की पहल की गई। इससे किसानों को समय की बचत हुई, श्रम लागत घटी और खेती अधिक वैज्ञानिक एवं सटीक बनी। यह पहल खासतौर पर छोटे और मध्यम किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हुई, जिन्होंने पहली बार आधुनिक तकनीक को सीधे अपनी खेती में अपनाया।

ड्रोन नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ कौशल विकास और शिक्षा रहा। राज्य सरकार ने आईटीआई, पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग संस्थानों में ड्रोन से जुड़े पाठ्यक्रम शुरू करने की दिशा में ठोस कदम उठाए। ड्रोन ऑपरेटर, मेंटेनेंस टेक्नीशियन, डिजाइन इंजीनियर और डेटा एनालिस्ट जैसे नए कौशलों को बढ़ावा दिया गया। इससे युवाओं को पारंपरिक नौकरियों के अलावा भविष्य की तकनीकी नौकरियों के लिए तैयार किया गया।

ड्रोन से प्राप्त डेटा का उपयोग सफलता से हो रहा शहरी नियोजन-पर्यावरण निगरानी में

इस पूरे तकनीकी इको-सिस्टम को मजबूती देने में मेपकोस्ट (MPCOST – Madhya Pradesh Council of Science & Technology) की भूमिका भी अहम रही। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकोस्ट) के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी के अनुसार 2025 में ड्रोन तकनीक ने यह साबित कर दिया कि विज्ञान और तकनीक यदि नीति और प्रशासन से जुड़ जाए तो उसका सीधा लाभ समाज को मिलता है। उन्होंने यह बात रेखांकित की कि मेपकोस्ट के माध्यम से राज्य में ड्रोन आधारित अनुसंधान, डेटा संग्रह, तकनीकी प्रशिक्षण और नवाचार को वैज्ञानिक आधार दिया गया। कोठारी के अनुसार ड्रोन से प्राप्त डेटा का उपयोग शहरी नियोजन, जल संसाधन प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में किया गया, जिससे निर्णय-प्रक्रिया अधिक सटीक और त्वरित हुई।

2025 में ड्रोन तकनीक का उपयोग शासन और सार्वजनिक सेवाओं में भी तेजी से बढ़ा। भूमि सर्वेक्षण, अवैध अतिक्रमण की पहचान, सड़क और पुलों की निगरानी, भीड़ प्रबंधन और आपदा के समय त्वरित आकलन जैसे कार्यों में ड्रोन का प्रयोग किया गया। इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बढ़ी और समय तथा संसाधनों की बचत हुई। यह तकनीकी हस्तक्षेप “डिजिटल गवर्नेंस” की दिशा में एक ठोस कदम माना गया।

निवेश और रोजगार के दृष्टिकोण से भी 2025 बेहद महत्वपूर्ण रहा। ड्रोन नीति के बाद कई राष्ट्रीय और स्थानीय कंपनियों ने मध्य प्रदेश में निवेश में रुचि दिखाई। अनुमान है कि आने वाले वर्षों में ड्रोन क्षेत्र से जुड़े उद्योगों के माध्यम से हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। इस तरह देखें तो 2025 मध्य प्रदेश के लिए ड्रोन तकनीक में आत्मविश्वास और उपलब्धियों का वर्ष रहा। ड्रोन तकनीक के माध्यम से मध्य प्रदेश ने वर्तमान की चुनौतियों का समाधान खोजने के साथ ही भविष्य की उड़ान के लिए भी एक मजबूत रनवे तैयार करना आरंभ कर दिया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी