हमारी शिक्षा का उद्देश्य सबकी भलाई होना चाहिए : डॉ डीवाई चंद्रचूड़

 


- अब तक 36 हजार निर्णयों का कराया हिन्दी अनुवाद : मुख्य न्यायाधीश

-प्रयागराज संगम के साथ धर्म न्याय और शिक्षा की त्रिवेणी : योगी आदित्यनाथ

प्रयागराज, 16 फरवरी (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारी शिक्षा का उद्देश्य सबकी भलाई होना चाहिए। जब हम शिक्षा में बराबरी की बात करते हैं तो समाज में बराबरी की बात लागू होगी। इससे वे अपने अधिकार की बात कर सकेंगे।

वह उक्त बातें शुक्रवार शाम इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन सभागार में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शुभारम्भ मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने कही। मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के 27वें विधि विश्वविद्यालय के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का लोकार्पण करते हुए प्रसन्नता हो रही है। क्योंकि डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने स्वतंत्र और आधुनिक भारत की नींव रखी।

उन्होंने कहा कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में सबको अपनी बात रखने की छूट दी थी जो वास्तव में लोकतंत्र था। डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष के साथ बड़े वकील थे। उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि मैंने इलाहाबाद में चीफ जस्टिस के रूप में पौने तीन साल बीताया।

मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में इस शहर का अहम योगदान है। अल्फेड पार्क आज भी चंद्रशेखर आजाद की गाथा कह रहा है। यह शहर विरासत का धनी है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायिक क्षेत्र में हुई कुछ उल्लेखनीय पहल का उल्लेख करते हुए बताया कि हमने अब तक 36 हजार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हिन्दी अनुवाद कराया है। इसका मकसद यह है कि जो अंग्रेजी नहीं जानते उनके घर तक कानून पहुंचे। इसे हर प्रदेश में लागू किया जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी की उपस्थिति में उन्होंने उम्मीद जताई कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय उच्च स्तरीय कानूनी पढ़ाई का केंद्र बनेगा। न्यायमूर्ति डॉ चंद्रचूड़ ने कहा इलाहाबाद में आप सबने मुझे अपनाया था।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज गंगा यमुना और सरस्वती का संगम होने के साथ यह धर्म न्याय और शिक्षा की त्रिवेणी है। डॉ. चंद्रचूड़ का इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल अत्यंत प्रेरक रहा है। उन्हें आज मुख्य अतिथि बनाना अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 में भारत ने अपना संविधान लागू किया था। जब भारत के संविधान की प्रस्तावना को लेकर बहस चल रही थी तब बाबा साहेब ने कहा था कि हम इति की चिंता करते हैं कि जबकि हम शुरुआत अच्छी कर रहे हैं तो सब अच्छा होगा। ठीक वैसे भी आज अच्छी शुरुआत हो रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यूपी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। हम प्रधानमंत्री के निर्देश में प्रदेश में सुशासन लाने का काम कर रहे हैं जिसकी शर्त रूल ऑफ लॉ है। यह बार और बेंच के बिना सम्भव नहीं है। मैं आभार ज्ञापित करता हूं कि न्यायिक क्षेत्र से हमें सहयोग मिला। अधिकारियों से कहता हूं कि लोकतंत्र में जनता का विश्वास नहीं टूटना चाहिए अन्यथा उन्हें सड़कों पर उतरने में देर नहीं लगेगी। सरकार के पास कोई भी समस्या आए तो वह समाधान बनकर निकले।

इसके पूर्व बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्र ने कहा कि संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षकों का विशेष योगदान होता है। उम्मीद है कि बेंगलुरु की तरह यह विश्विद्यालय भी काम करेगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने उम्मीद जताई कि डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से कानून की बेहतर पढ़ाई होगी। किताबी ज्ञान के साथ तकनीक का उपयोग करके बेहतर पढ़ाई होगी। यह भविष्य का बड़ा संस्थान साबित होता।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने कहा कि इलाहाबाद की पहचान शिक्षा के साथ राजनीति में रही है। यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की मांग काफी समय से चल रही थी। मुख्यमंत्री योगी ने पूरा करवाया। संसाधन उपलब्ध करवाकर इसका काम शुरू हुआ है। विश्वविद्यालय की कुलपति ऊषा टंडन ने भविष्य की कार्ययोजना पर प्रकाश डाला।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश