धारः ऐतिहासिक भोजशाला में 49वें दिन भी जारी रहा एएसआई का सर्वे
- खुदाई में खंडित पाषाण स्तंभों के अवशेष मिले
- लिपि विशेषज्ञों ने किया शिलालेख की लिखावट और चित्रों का अध्ययन
भोपाल, 9 मई (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग का सर्वे गुरुवार को 49वें दिन भी जारी रहा। एएसआई के 14 अधिकारियों की टीम 24 श्रमिकों के साथ सुबह साढ़े आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। यहां टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब साढ़े आठ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।
ज्ञानव्यापी की तर्ज पर चल रहे एएसआई के सर्वे के 49वें दिन भोजशाला परिसर में दक्षिण, पश्चिम की दीवार के पास से मिट्टी हटाने का कार्य जारी रहा। इसके साथ ही एएसआई की टीम ने भोजशाला में गर्भगृह में स्तंभों की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी की। वहीं बाहरी परिसर में खुदाई की गई। दोपहर बाद उत्तर दिशा में खुदाई शुरू की गई। भोजशाला के भीतरी भाग में गत दिनों तीन दीवारें आपस में जुड़ी हुई मिली थीं। गुरुवार को यहां 10 फीट तक खुदाई हो चुकी है। इसमें अब भी दीवार दिखाई दे रही है। इससे यह लग रहा है कि ये दीवार और भी अधिक गहराई तक हो सकती हैं। ये दीवार ईंटों की बनी हुई बताई जा रही है। माना जा रहा है यह भूकंपरोधी दीवार के तौर पर बनाई गई हो। वहीं आज खुदाई के दौरान खंडित स्तंभों के अवशेष आदि भी मिले हैं।
सर्वे टीम के साथ मौजूद रहे हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि सर्वे दल ने भीतरी भाग में क्लीनिंग, ब्रशिंग का काम किया। वहीं बाहरी परिसर में दक्षिण, पश्चिम की दीवार से के पास मिट्टी हटाने का काम हुआ है। इसके अलावा लिपि विशेषज्ञों ने शिलालेख की लिखावट और चित्रों का अध्ययन किया। इधर, अभी भी मशीनों को इंतजार किया जा रहा है। इसके अलावा लिपि विशेषज्ञों ने शिलालेख की लिखावट और चित्रों का अध्ययन किया।
वहीं, मुस्लिम पक्षकर अब्दुल समद ने बताया कि उत्तर और पश्चिम में खुदाई और लेवलिंग का काम जारी रहा। जहां तीन दीवार की लेयर निकली थी, वहां भी खुदाई का कार्य किया गया और ब्रशिंग-क्लीनिंग भी की गई है। दरगाह परिसर में आज भी काम बंद रहा। सर्वे टीम के साथ जुड़े लिपि विशेषज्ञों द्वारा स्तंभों पर लिख लेखों का अध्ययन किया गया और अर्थ समझने की कोशिश की जा रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/प्रभात