ज्ञान, प्रशिक्षण और अनुसंधान लोकतांत्रिक खुशहाली के तीन स्तंभ हैं : गडकरी
मुंबई, 13 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को नागपुर में कहा कि ज्ञान, प्रशिक्षण और अनुसंधान एक खुशहाल लोकतंत्र के तीन स्तंभ हैं। पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट्स कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री स्टडीज़ बोर्ड के ज़रिए ट्रेनिंग के लिए आते हैं। इन स्टूडेंट्स को कानून बनाने की प्रक्रिया और पार्लियामेंट्री प्रोसीजर की पढ़ाई करने का मौका मिलता है। ऐसी ट्रेनिंग और ज्ञान से ही लोकतंत्र खुशहाल होता है।
केंद्रीय मंत्री गडकरी आज नागपुर में वी.एस. पेज पार्लियामेंट्री ट्रेनिंग सेंटर द्वारा लेजिस्लेटिव काउंसिल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में लेजिस्लेटिव काउंसिल द्वारा पास किए गए ज़रूरी बिल, प्रस्ताव और पॉलिसी पर पब्लिश की गई रेफरेंस रिच बुक सीरीज़ का दूसरा वॉल्यूम आज लेजिस्लेटिव काउंसिल हॉल में केंद्रीय मंत्री गडकरी के हाथों जारी किया गया।
गडकरी ने कहा, मैं खुशकिस्मत हूं कि कार्यक्रम के मौके पर उस हॉल में वापस आया जहां मैंने 18 साल तक पढ़ाकर अनुभव हासिल किया और देश की सेवा करने का मौका मिला। इससे इस हॉल की यादें ताजा हो गईं। इसी हॉल ने मुझे राज्य के विकास के लिए दूसरे व्यक्ति से जो मैं चाहता था, उसे चर्चा के जरिए निकलवाने का हुनर दिया। लेजिस्लेटिव काउंसिल हॉल में कानून बनाने पर चर्चा के जरिए असरदार कानून बनाए गए हैं। भले ही इस हॉल में राज्य के अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते समय नियमों को लेकर लड़ाई होती थी, लेकिन निजी रिश्तों में कभी कड़वाहट नहीं आई, यही हमारी लोकतंत्र की समृद्ध परंपरा है।
लोकतंत्र में संविधान ने अधिकार और कर्तव्य तय किए हैं। इससे विकास के लिए समान मौके मिले हैं। लेजिस्लेचर ने डेमोक्रेसी की बेहतरीन परंपराओं का पालन किया है। इन किताबों के जरिए हॉल में मौजूद विचारों का खजाना नई पीढ़ी के सामने पेश किया जाएगा।
चर्चा के बाद बने कानून जनता की भावना को दिखाते हैं : देवेंद्र फडणवीस
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कानून बनाने की प्रक्रिया में हॉल में होने वाली चर्चाएँ बहुत ज़रूरी होती हैं। ऐसी चर्चाओं से ही बड़े कानून बनते हैं। चर्चाओं से बने कानून जनता की भावना को दिखाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे कानूनों का इस्तेमाल निश्चित रूप से लोगों की भलाई के लिए किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, संविधान बनाने वाले डॉ. बाबासाहब आंबेडकर लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य थे। इस सदन ने बहुत समझदार, अनुभवी सदस्य दिए हैं। उनकी समझदारी और अनुभव का फायदा कानून बनाने की प्रक्रिया में इस्तेमाल किया गया है। इस सदन से पास हुए कानूनों और नीतियों के आधार पर एक किताब बनाई जा रही है। हमारे सदन की कार्यवाही का 'रिकॉर्ड' होना बहुत ज़रूरी है। रिकॉर्ड की कमी के कारण, हम कई ऐतिहासिक संदर्भों से चूक गए हैं। चूंकि पश्चिमी देशों में 'रिकॉर्ड' हैं, इसलिए हमें उनके संदर्भ लेने होंगे। हमारा डेमोक्रेटिक सिस्टम उनसे दो हज़ार साल पुराना है, लेकिन रिकॉर्ड की कमी के कारण संदर्भ उपलब्ध नहीं हैं। इतिहास को इक_ा करना होगा। इसलिए, मुख्यमंत्री फडणवीस ने भी यह विश्वास जताया कि सदन में दिए गए भाषणों और बनाए गए कानूनों को इक_ा करके पब्लिश की गई किताब हमेशा एक ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट रहेगी।
राज्य के विकास में सदन का बड़ा योगदान : चेयरमैन प्रो. राम शिंदे
विधान परिषद के सभापति राम शिंदे ने कहा कि देश में दो सदनों वाली व्यवस्था बहुत ज़रूरी है। इसी की वजह से असरदार कानून बनाना मुमकिन हो पाया है। राज्य के अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करने के बाद जो कानून और नीतियां बनती हैं, वे राज्य के विकास के लिए फायदेमंद होती हैं। लेजिस्लेटिव काउंसिल हाउस का राज्य के विकास में बहुत बड़ा योगदान है। बिना गलती के कानून बनाने के लिए दो सदनों वाली व्यवस्था बहुत ज़रूरी है। इस अपर हाउस के अनुभवी सदस्यों द्वारा की गई चर्चाओं के बाद, कानून बनाने का काम बहुत असरदार हो जाता है। कानून बनाने की प्रक्रिया को ज़्यादा से ज़्यादा दोषरहित बनाने की जिम्मेदारी अपर हाउस की है। इसलिए यहां हुई चर्चाएं कानून बनाने की प्रक्रिया में ऐतिहासिक हैं।
इस अवसर पर लेजिस्लेटिव काउंसिल के चेयरमैन प्रो. राम शिंदे, लेजिस्लेटिव असेंबली स्पीकर एडवोकेट राहुल नार्वेकर, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी मुख्यमंत्री अजीत पवार, पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर चंद्रकांत पाटिल, डिप्टी चेयरमैन डॉ. नीलम गोरहे , लेजिस्लेचर के सदस्य और पार्लियामेंट्री स्टडीज़ क्लास के स्टूडेंट्स उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव