लोकसभा चुनाव में मर्यादाओं का उल्लंघन हुआः सरसंघचालक डॉ भागवत

 


नागपुर, 10 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में सभी मर्यादाओं का उल्लंघन हुआ। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के सहारे असत्य फैलाया गया।

नागपुर के रेशमबाग में 16 मई से चल रहे कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय समापन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर देशभर से आए स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख डॉ भागवत ने कहा कि चुनाव नतीजे घोषित हो गए। सरकार का गठन हो गया लेकिन इसके बावजूद चर्चाएं जारी हैं। सरसंघचालक ने कहा कि संसद में पक्ष और प्रतिपक्ष होते हैं। संसद में आपसी सहमति बनाकर देशहित में काम होना अपेक्षित है। जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक उसी तरह सत्ता पक्ष को देशहित में दूसरा पहलू उजागर करना यह प्रतिपक्ष का काम होता है। सहमति बनाकर देश चलाने की हमारी पुरानी परंपरा है लेकिन चुनावी स्पर्धा से संसद पहुंचे लोगों में ऐसी सहमति बन पाना मुश्किल होती है, इसलिए बहुमत का सहारा लिया जाता है पर इस बार के चुनाव में जिस प्रकार समाज में मनमुटाव बढ़ेगा, इसका ख्याल नहीं रखा गया।

सरसंघचालक ने सवाल किया कि ऐसे में देश कैसे चलेगा? इस देश में एक प्रक्रिया के तौर पर चुनाव हर 5 वर्ष में होते रहते हैं। बतौर सरसंघचालक चुनाव एक स्पर्धा है कोई युद्ध नहीं लेकिन इस बार के चुनाव में मर्यादाओं का पालन नहीं हुआ। एआई जैसी टेक्नोलॉजी के जरिए समाज में असत्य बातें फैलाई गईं। संघ को भी राजनीति में घसीटा गया। एनडीए सरकार की सराहना करते हुए डॉ भागवत ने कहा कि देश में एनडीए की सरकार फिर चुन कर आई है। पिछले 10 वर्षों में कई क्षेत्रों में सरकार ने अच्छा काम किया है। विदेश नीति, रक्षा, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सभी क्षेत्र में देश ने तरक्की की है।

सरसंघचालक ने कहा कि हम आगे बढ़े हैं लेकिन हम चुनौतियों से कभी मुक्त नहीं हुए हैं। तरक्की के लिए देश में शांति का होना बेहद जरूरी है। मणिपुर एक वर्ष से शांति की प्रतिक्षा में है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

संस्कृति तथा सामाजिक जिम्मेदारियों पर अपने विचार रखते हुए सरसंघचालक ने कहा कि अच्छे परिवार की महिलाएं अगर शराब पीकर हादसे की वजह बनती हों तो इसमें संस्कृति कहां है? बतौर डॉ भागवत जिसने भी संस्कृति त्यागी उनकी हालत खराब है। देश में परिवर्तन लाने के लिए समाज में परिवर्तन करना होगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन से ही व्यवस्थाओं का परिवर्तन संभव है।

इस मौके पर सरसंघचालक ने जातिभेद पर कड़ा प्रहार किया तथा आह्वान किया कि लोगों को अपने मन से छुआछूत का भाव दूर करना होगा। समाज और देश में परिवर्तन लाने के लिए सरसंघचालक ने सामाजिक समानता, पर्यावरण की रक्षा, स्व आधारित जीवन, अनुशासन और नियमों का पालन ऐसे प्रमुख बिंदु बताए। वहीं उन्होंने आह्वान किया कि कार्य करते समय यह मैंने किया, इस अहंकार का त्याग करें।

हिन्दुस्थान समाचार/मनीष/प्रभात/आकाश