'सूरत' युद्धपोत के क्रेस्ट का सूरत में अनावरण हुआ

 




-सूरत का समुद्री तट प्राचीन काल के गौरवशाली समुद्री व्यापार का साक्षी है: मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

-भारतीय नौसेना द्वारा सूरत की प्राचीन शिपबिल्डिंग विरासत के सम्मान में युद्धपोत के चिन्ह को 'सूरत' नाम दिया गया

सूरत, 06 नवंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरिकुमार की उपस्थिति में सोमवार को सूरत में युद्धपोत ‘सूरत' के क्रेस्ट (प्रतीक चिन्ह) का अनावरण किया गया। भारतीय नौसेना द्वारा अपने अत्याधुनिक चौथे मिसाइल डेस्ट्रोयर युद्धपोत के क्रेस्ट (प्रतीक चिह्न) को 'सूरत' नाम देकर सूरत की प्राचीन शिपबिल्डिंग विरासत का सम्मान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने गरिमापूर्ण और भव्य 'सूरत वॉरशिप क्रेस्ट' (प्रतीक चिन्ह) के अनावरण के अवसर पर कहा कि भारतीय नौसेना के नवीनतम वॉरशिप प्रोजेक्ट-बी के अंतर्गत चार नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल डेस्ट्रोयर तैयार किए गए हैं। जिसमें सोमवार को चौथे युद्धपोत का नाम 'सूरत' रखा गया है, जो समग्र राज्य के लिए गर्व का क्षण है। यह पहली बार है कि किसी युद्धपोत का नाम गुजरात के किसी शहर के नाम पर रखा गया है।

मुख्यमंत्री ने गुजरात के प्राचीन समुद्री व्यापार का जिक्र करते हुए कहा कि एक समय में सूरत, लोथल, घोघा, भरूच समुद्री व्यापार के महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करते थे। प्राचीन काल में सूरत ने देश-विदेश में समुद्री व्यापार और वाणिज्यिक संबंधों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सूरत का समुद्री तट प्राचीन काल के गौरवशाली समुद्री व्यापार का साक्षी है और आज सूरत भविष्य के आधुनिक भारत के सूर्योदय का भी साक्षी बना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए गुजरात के मरीन कमांडो और तटरक्षक बल सतर्क और सजग हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना को सुरक्षा गतिविधियों में सहयोग करने में गुजरात भी अहम योगदान दे रहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत डिफ़ेन्स क्षेत्र में विनिर्माण के क्षेत्र में भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि सूरत का युद्धपोत भारतीय नौसेना को मजबूत बनाएगा और आत्मनिर्भरता के हमारे उद्देश्य को गति देगा।

सूरत शहर जहाज निर्माण सहित समुद्री व्यापार का एक प्रमुख केंद्र था : एडमिरल आर हरिकुमार

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरिकुमार ने कहा कि मध्यकाल में 16वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान सूरत शहर जहाज निर्माण सहित समुद्री व्यापार का एक प्रमुख केंद्र था। 'सूरत' युद्धपोत का नाम गुजरात की आर्थिक राजधानी अर्थात् वाइब्रेंट सूरत शहर के नाम पर रखा गया है, क्योंकि सूरत अपने प्राचीन समृद्ध समुद्री इतिहास और शिपबिल्डिंग विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इस कदम से सूरत और भारतीय नौसेना के बीच सम्बंध अधिक मजबूत बनेंगे। विश्वसनीय जवाबदारी बनाए रखना किसी भी सशस्त्र बल, विशेषकर नौसेना का काम है। नौसेना देश की सुरक्षा के साथ-साथ ब्लू इकोनॉमी को प्रोत्साहन देने में भी अहम भूमिका निभा रही है। फ्लैग ऑफिसर गुजरात नौसेना क्षेत्र कमांडर रियर एडमिरल अनिल जग्गी ने मुख्यमंत्री सहित महानुभावों का स्वागत कर भारतीय नौसेना के ‘सूरत’ क्रेस्ट की रूपरेखा प्रस्तुत की।

इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरिकुमार और वरिष्ठ नौसेना अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को ‘सूरत’ युद्धपोत की प्रतिकृति भेंट की। मुख्यमंत्री ने नौसेना के स्मृति स्तंभ पर भी हस्ताक्षर किए। जहाजों के निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता और युद्धपोत 'सूरत' के सम्बंध में एक वीडियो फिल्म का निर्देशन किया गया। चीफ़ ऑफ नेवल स्टॉफ ने 'सूरत' युद्धपोत के मॉडल पर एक प्रेजेंटेशन प्रस्तुत की। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री और नौसेना प्रमुख का नेवी बैंड द्वारा मधुर धुन बजाकर भव्य स्वागत किया गया।

इस अवसर पर केंद्रीय टैक्सटाइल एवं रेल राज्य मंत्री दर्शनाबेन जरदोश, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव पंकज जोशी, कलेक्टर आयुष ओक, महा नगर पालिका आयुक्त शालिनी अग्रवाल, पुलिस आयुक्त अजय कुमार तोमर, महापौर दक्षेश मवानी, पद्मश्री कनुभाई टेलर, अग्रणी गोविंदभाई ढोलकिया, पद्मश्री मथुरभाई सवाणी, लालजीभाई पटेल और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/बिनोद/आकाश