कांग्रेस ने सरकार पर प्रदूषण के खतरों को नकारने का लगाया आरोप

 


नई दिल्ली, 19 दिसंबर (हि.स.)। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने संसद के शीतकालीन अधिवेशन को 'प्रदूषण कालीन' सत्र करार देते हुए सरकार पर प्रदूषण के खतरों को नकारने का आरोप लगाया है।

शीतकालीन सत्र के शुक्रवार को समापन के बाद जयराम रमेश ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि सत्र की शुरुआत रवींद्रनाथ टैगोर और पंडित नेहरू के बारे में विवादास्पद बयानों से हुई और अब सत्र का समापन महात्मा गांधी के अपमान से हुआ। उन्होंने सरकार पर सदन में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि कल सरकार ने यह बयान दिया कि प्रदूषण और फेफड़ों के बीच कोई संबंध नहीं है। यह बयान चौंकाने वाला है। विभिन्न रिपोर्टों में यह साबित हो चुका है कि प्रदूषण से गंभीर बीमारियां और फेफड़ों के रोग हो रहे हैं लेकिन मोदी सरकार इन तथ्यों को नकार रही है। विपक्ष की ओर से लोकसभा और राज्यसभा में प्रदूषण पर चर्चा की मांग की गई थी लेकिन सरकार ने दोनों सदनों की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। हमने सोचा था कि आज लोकसभा में प्रदूषण पर चर्चा होगी, जो सरकार ने नहीं कराई।

कांग्रेस नेता रमेश ने कहा कि सत्र से पहले एक औपचारिक सर्वदलीय बैठक हुई थी, जिसमें यह जानकारी दी गई थी कि सरकार 14 विधेयक पेश करेगी, जिनमें से 12 मुख्य होंगे। इनमें से 5 विधेयक पेश नहीं किए गए। रमेश ने कहा, मैंने 30 नवंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मजाक करते हुए पूछा था कि इस सत्र में कौन सा 'ब्रह्मास्त्र' लाया जाएगा। वह हंसी में जवाब दिए थे लेकिन सत्र में जो हुआ, वह वही था।

उल्लेखनीय है कि पिछले करीब दो महीने से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। शुक्रवार को अपराह्न 03 बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 376 दर्ज की गयी, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानी जाती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर