असम में वर्ष 2026 तक बंद होगा बाल विवाह: मुख्यमंत्री

 


- असम विधानसभा में 'द असम रिपिलिंग बिल 2024' पारित

-बाल विवाह राज्य के बाहर हो सकता है, लेकिन असम में नहीं होगा: डाॅ सरमा

गुवाहाटी, 29 अगस्त (हि.स.)। असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने गुरुवार को सदन में कहा कि राज्य वर्ष 2026 तक राज्य में बाल विवाह पर रोक लगा दी जाएगी। बाल विवाह राज्य के बाहर हो सकता है लेकिन असम में बाल विवाह नहीं होगा।

मुख्यमंत्री डॅा सरमा विधानसभा के शरदकालीन सत्र के चौथे दिन असम सरकार के मंत्री जोगेन महन के सदन में पेश किये गये 'द असम रिपिलिंग बिल 2024' पर चर्चा के दौरान संबोधित कर रहे थे। सदन में 'द असम रिपिलिंग बिल 2024' पारित कर दिया गया है। इसके मद्देनजर असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने विधानसभा में कहा कि वर्ष 2026 तक बाल विवाह पर रोक लगा दी जाएगी। बाल विवाह राज्य के बाहर हो सकता है, लेकिन असम में बाल विवाह नहीं होगा।

सदन में चर्चा के दाैरान सदस्य रफीकुल इस्लाम ने कहा कि कई अरबी विद्वान और सरकारी शिक्षक काजी के रूप में काम कर रहे हैं। गुवाहाटी के केंद्रीय काजी भी शिक्षक हैं। असम में बहुत अधिक काजी नहीं हैं। राज्य में सिर्फ 90 काजी हैं। रफीकुल इस्लाम के बयान का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 90 काजियों की चिंता मत करिए। मुस्लिम लड़कियों के लिए न्याय के बारे में सोचिए। रफीकुल इस्लाम अपनी दो बेटियों के न्याय के बारे में सोचे बिना काजियों के बारे में सोच रहे हैं। मैं काजियों को संभाल लूंगा। काजियों को बंद करने के उद्देश्य से इस अधिनियम को निरस्त कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर हमें सब रजिस्ट्रार कार्यालय में आने में कठिनाई होती है, तो हम अलग से मुस्लिम सब-रजिस्ट्रार कार्यालय बनाएंगे। जहां पर विवाह पंजीयन किया जा सकेगा, लेकिन मुस्लिम विवाह और तलाक केवल सरकारी कार्यालय में ही पंजीकृत होंगे। मुस्लिम विवाह के पंजीकरण के लिए शुल्क प्रतीकात्मक रूप से एक रुपया लिया जाएगा। ज्यादा पैसा नहीं लिया जाना चाहिए। पैसा कमाना हमारा इरादा नहीं है।

मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने सदन में कहा, 'देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले जम्मू-कश्मीर में सरकारी दफ्तरों में मुस्लिम शादियां रजिस्टर्ड होती हैं। केरल में भी विवाह सरकारी कार्यालयों में पंजीकृत होती है। हम काजियों को उनकी अब तक के कार्य के लिए शुक्रिया कहेंगे। वर्ष 1935 से काजियों ने बहुत परेशानी उठाई है। अब उन्हें ऐसा कष्ट नहीं करना चाहिए।

विधायक करीमुद्दीन बोरभुइयां ने विधानसभा में कहा कि न केवल मुस्लिम बहुविवाह करते हैं, बल्कि बहुविवाह आदिवासी और चाय बागान क्षेत्रों में भी होता है। इस बयान के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि, ऐसी बातें कहकर आदिवासी और चाय बागान के लोगों का गुस्सा मत बढ़ाइये। आदिवासी और चाय बागान इलाके में बहुविवाह नहीं किया जाता है। महिला कल्याण न्याय के बारे में सोचिए। महिलाओं का मतलब मेरी बेटी है।’’

हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय