चाणक्य रक्षा संवाद में क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर तैयार होगा रोडमैप : धनखड़
- सैन्य क्षेत्र में उभरती बहुपक्षीय चुनौतियों में अपनी भूमिका बखूबी समझती है सेना
- पहले दिन तीन सत्रों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भविष्य की चुनौतियों पर हुई चर्चा
नई दिल्ली, 03 नवंबर (हि.स.)। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को चाणक्य रक्षा संवाद में कहा कि भारतीय सेना की इस अनूठी पहल से दक्षिण एशिया और भारत-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा, रणनीति और सहयोगात्मक साझेदारी का उपयोगी मंच मिलेगा। छह सत्रों के साथ दो दिवसीय रक्षा संवाद में निश्चित रूप से क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी और इसमें स्थितियों से निपटने के लिए एक रोडमैप तैयार होगा।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में कहा कि इस क्षेत्र के देशों के बीच उभरते और प्रासंगिक हितधारक के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने को लेकर सुरक्षा उपायों के लिए रणनीति के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह मंच दक्षिण एशिया और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों की जटिलताओं का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने और इस इलाके के अंदर सामूहिक सुरक्षा के लिए आगे के रुख को परिभाषित करने के लिए बेहद उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि यह अभिनव पहल महत्वपूर्ण सुरक्षा मामलों पर अंतर्दृष्टि और चर्चाओं के आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करेगी, जो देश की रणनीतिक जागरुकता को और बढ़ाएगी तथा जटिल मुद्दों के समाधान को अपेक्षित रूप से प्रेरित करेगी।
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने चाणक्य रक्षा संवाद के उद्घाटन समारोह में कहा कि सैन्य क्षेत्र में हम उभरती बहुपक्षीय चुनौतियों में अपनी भूमिका को समझते हैं। हम अपने संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यास, अंतर संचालनीय, उप-क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य और अपने मित्र राष्ट्रों के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के दायरे और पैमाने को बढ़ाने के इच्छुक हैं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक समुदाय के प्रतिष्ठित वक्ता, प्रमुख शिक्षाविद और साझा हितों वाले प्रमुख देशों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों ने चाणक्य रक्षा संवाद में विचार-विमर्श की एक व्यावहारिक यात्रा शुरू की है।
पहले दिन मुख्य भाषण पूर्व विदेश सचिव विजय के. गोखले ने दिया, जिसके बाद इंडो-पैसिफिक और इस क्षेत्र में उभरती भौगोलिक चुनौतियों पर तीन सत्रों में आकर्षक चर्चा हुई। प्रमुख शक्तियों और क्षेत्रीय हितधारकों के बीच साझा साझेदारी और व्यवस्थाओं की प्रासंगिकता और दायरे से संबंधित पहलुओं पर भी चर्चा की गई। पहले दिन के आकर्षक और ज्ञानवर्धक आयोजन के बाद अब मंच 04 नवंबर को मानेकशॉ सेंटर विचार-विमर्श के एक और दिन के लिए तैयार है। भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल सम्मानित अतिथि हैं, जबकि मुख्य भाषण डॉ. अरविंद विरमानी देंगे। भारत के रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और उप एनएसए विक्रम मिस्री विशेष संबोधन देंगे।
पहले दिन के सत्रों में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार, वायु सेना उपप्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह, सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पीएस राजेश्वर (सेवानिवृत्त), थल सेनाध्यक्ष उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार, पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वीएन शर्मा, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एस. लांबा और विदेश से आए प्रतिनिधि, रक्षा सेवाओं के अधिकारी, थिंक टैंक मौजूद थे।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन