सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप में ईपीआईएल के पूर्व उप महाप्रबंधक व एक निजी कंपनी के पार्टनर सहित दाे पर दर्ज किया मामला
नई दिल्ली, 28 अगस्त (हि.स.)। केंद्रीय जांच ब्यूराे (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के आरोप में मेसर्स इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड (ईपीआईएल), भिलाई के तत्कालीन डीजीएम एवं एक निजी कंपनी मेसर्स एसपीएस कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग वर्क्स, कोहका के पार्टनर सहित दो आरोपिताें के विरुद्ध मामला दर्ज किया। सीबीआई ने यह जानकारी बुधवार काे दी।
सीबीआई ने जिन दाे आराेपिताें के खिलाफ मामला दर्ज किया है, उसमें भिलाई के धामपुर हुसैनपुर निवासी ईपीआईएल के पूर्व डीजीएम इंतखाब आलम व मेसर्स एसपीएस कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग वर्क्स, कोहका के पार्टनर मनोज कुमार सोनी का नाम शामिल है। सीबीआई ने जिला बिजनौर (उत्तर प्रदेश) और भिलाई (छत्तीसगढ़) में दोनों आरोपिताें के आधिकारिक एवं आवासीय परिसरों की तलाशी भी ली।
सीबीआई का आराेप है कि भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड के अधीन भिलाई इस्पात संयंत्र, भिलाई एवं भारत सरकार का उद्यम मेसर्स इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड (ईपीआईएल) ने 30 अप्रैल 2010 को भिलाई इस्पात संयंत्र में कच्चे माल की प्राप्ति एवं हैंडलिंग सुविधाओं के विस्तार की स्थापना हेतु 5,50,82,27,000 रु. के अनुबंध मूल्य पर एक अनुबंध किया। परिणाम स्वरूप, ईपीआईएल द्वारा सिविल निर्माण कार्यों के लिए कई एनआईटी (निविदा आमंत्रण सूचना) जारी की एवं आरोपित साझेदार की फर्म मेसर्स एसपीएस कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग वर्क्स सहित इसकी कंपनियों व फर्मों काे सिविल निर्माण के कार्य आवंटित किए गए।
सीबीआई का यह भी आराेप है कि साझेदार की निजी कंपनी ने जाली गेट मटेरियल एंट्री चालान जिसे फॉर्म सीआईएसएफ-157 के नाम से जाना जाता है एवं स्टोर इशूड स्लिप, जाली चालान के साथ प्रस्तुत किए। इस सीआईएसएफ फॉर्म-157 को आरोपित ईपीआईएल के डीजीएम द्वारा सत्यापित किया गया था। कार्य आदेशों की मूल्य अनुसूची के अनुसार, सुदृढ़ीकरण स्टील की आपूर्ति एवं रखने की दर कथित रूप से 70,000 रु. प्रति मीट्रिक टन तय की गई थी। वहीं निजी फर्म के आरोपित साझीदार ने जाली चालान प्रस्तुत करके कथित रूप से 84,05,880 रु. का लाभ प्राप्त किया और ईपीआईएल को हानि पहुंचाई।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिरंचि सिंह