लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पारित हुआ आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक

 


नई दिल्ली, 2 अप्रैल (हि.स.)। राज्यसभा ने बुधवार को आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक-2025 चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक का उद्देश्य देश में आप्रवासन से जुड़े कानूनों को नए सिरे से परिभाषित करना है। विधेयक का उद्देश्य केंद्र सरकार को भारत में प्रवेश करने और यहां से प्रस्थान करने वाले व्यक्तियों के संबंध में पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेजों की आवश्यकता और विदेशों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां प्रदान करना है।

विधेयक के अधिनियम बनने पर यह विदेशियों और आप्रवास से संबंधित मामलों के वर्तमान के चार अधिनियमों- विदेशियों विषयक अधिनियम-1946, आप्रवास (वाहक दायित्व) अधिनियम-2000, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 और विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम-1939 का स्थान लेगा। लोकसभा इसे 27 मार्च को पहले ही पास कर चुका है।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक-2025 चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया। उन्होंने सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि आज हमारे देश में करीब 1 करोड़ 72 लाख एनआरआई हैं। इतना बड़ा डायसपोरा किसी और देश के पास नहीं है। उन सबके आने-जाने और उनकी सारी चिंताओं के निराकरण के लिए यह विधेयक मोदी सरकार ले कर आई है।

राय ने कहा, अभिषेक मनु सिंघवी जब बोल रहे थे तो उन्होंने कहा कि मोदी सरकार डराना चाहती है। मैं कहना चाहता हूं कि मोदी सरकार किसी को डराना नहीं चाहती है लेकिन डर उनको होना चाहिए जो भारत में आकर देश के खिलाफ साजिश करना चाहते हैं। ऐसे लोगों के मन में डर पैदा होना ही चाहिए।

इस विधेयक से एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ेगा, डेटा प्रबंधन की जटिलता समाप्त हो जाएगी। कुछ सदस्यों ने इस विधेयक को समिति को रेफर करने की सलाह दी है लेकिन तीन साल के गहन विचार के बाद गृह मंत्रालय ने इस विधेयक को तैयार किया है। देश की आवश्यकता के अनुरूप किया है। इसके प्रावधानों में भारत में प्रवेश और ठहरने के लिए वैध दस्तावेज को अनिवार्यता कर दी गई है। अप्रवास ब्यूरो पहले से ही काम कर रहा है। यह एकमात्र एजेंसी होगी जो विदेश से आने वाले लोगों का लेखा जोखा रखेगी। अब विदेशी लोगों को एक ही एजेंसी से संपर्क करना होगा। ऐसा प्रावधान कई देशों में है।

नित्यानंद राय ने कहा कि कुछ सदस्य आरोप लगा रहे हैं कि सरकार मेधावी, विदेशी विशेषज्ञों को रोकना चाह रही है लेकिन सरकार को अपने देश के मेधावी विशेषज्ञों पर गर्व है। इसलिए विदेशी लोग जो देश में आकर भारत के विकास के लिए काम करेंगे उनका विरोध नहीं किया जा रहा है लेकिन देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले विदेशियोंं के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अच्छे मन से अगर विदेशी लोग आएंगे तो उनका स्वागत होगा और जो नुकसान पहुंचाएगा उसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा।

विधेयक पर चर्चा के दौरान इसका विरोध करते हुए कांग्रेस सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह विधेयक यह संदेश देता है कि सभी विदेशी संभावित अपराधी हैं, जिन्हें भारत को गंभीर संदेह की दृष्टि से देखना चाहिए।

उन्होंने मांग की कि इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए, क्योंकि यह निचले स्तर के अधिकारियों को अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है और इसमें अपील, निगरानी और जवाबदेही के अलावा अन्य बातों के लिए प्रावधानों का अभाव है।

विधेयक में क्या है खास

प्रस्तावित अधिनियम में भारत में प्रवेश करने, रहने या बाहर निकलने के लिए जाली पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करते हुए पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को दंडित किया जाएगा।

विधेयक में सात साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

होटलों, विश्वविद्यालयों, अन्य शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए विदेशियों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य होगा, ताकि निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहने वाले विदेशियों पर नज़र रखी जा सके।

यह कानून केंद्र को उन स्थानों पर नियंत्रण करने का अधिकार देता है, जहां किसी विदेशी का आना-जाना लगा रहता है और मालिक को परिसर को बंद करने, निर्दिष्ट शर्तों के तहत इसके उपयोग की अनुमति देने या सभी या निर्दिष्ट वर्ग के विदेशियों को प्रवेश देने से मना करने की आवश्यकता होती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी