बंगाल के बाबरी मस्जिद शिलान्यास में जिसे बताया विदेशी इमाम वह निकले स्थानीय

 




मुर्शिदाबाद, 10 दिसंबर (हि. स.)। पश्चिम बंगाल के बेलडांगा में 6 दिसंबर को कथित ‘बाबरी मस्जिद’ शिलान्यास कार्यक्रम को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। कार्यक्रम से पहले तृणमुल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने घोषणा की थी कि सऊदी अरब से दो इमाम समारोह में भाग लेने आ रहे हैं। इसी आधार पर कार्यक्रम का व्यापक प्रचार किया गया और बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल हुए। बाद में यह तथ्य सामने आया कि मंच पर जिन्हें ‘विदेशी इमाम’ बताया गया वे दोनों पश्चिम बंगाल के निवासी हैं। इनमें से एक मुर्शिदाबाद जिले के दौलताबाद के कारी सुफिया तथा दूसरे पूर्व मेदिनीपुर के शेख अब्दुल्ला हैं।

धार्मिक समुदाय के अनेक लोगों ने इसे ‘‘धार्मिक भ्रम फैलाकर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास’’ बताया है। सोशल मीडिया पर भी इस संबंध में असंतोष और आलोचना की है।

वहीं, इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए हुमायूं कबीर ने कहा कि उन्हें एक साजिश के तहत फंसाया गया है। उनका कहना है कि सऊदी से मेहमान बुलाने का दायित्व उन्होंने एक मध्यस्थ को सौंपा था और यात्रा व ठहरने का सारे खर्च भी भेज दिया था। लेकिन बाद में ज्ञात हुआ कि सऊदी अरब से कोई नहीं आया। मध्यस्थ खंदकार यूसुफ ने भी स्वीकार किया कि अंतिम समय में विदेशी अतिथि लाना संभव नहीं हो सका और भीड़ के कारण मंच से यह स्पष्ट करना बाकी रह गया।

विधायक हुमायूं कबीर ने इस पूरे प्रकरण के पीछे राज्य के मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी की भूमिका पर आरोप लगाया है। हालांकि, सिद्दीकुल्ला चौधरी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्हें किसी को बदनाम करने की आवश्यकता नहीं है और हुमायूं को अपने कृत्यों की जिम्मेदारी स्वयं लेनी चाहिए।

उधर, स्थानीय उलेमाओं ने पुनः स्पष्ट किया है कि मुर्शिदाबाद मस्जिद के शिलान्यास में सऊदी अरब से किसी भी धर्मगुरु के आने की बात पूर्णतः मिथ्या है। साथ ही प्रशासन ने भी चेतावनी दी है कि धार्मिक भावनाओं के नाम पर भ्रामक समाचार प्रसारित करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता