मप्र सरकार महाराजा विक्रमादित्य के नाम से न्याय के क्षेत्र में प्रारंभ करेगी पुरस्कार
- न्याय के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तित्व होंगे सम्मानितः मुख्यमंत्री
- 26 फरवरी से 5 जून 2025 तक चलेगा विक्रमोत्सव-2025
भोपाल, 13 सितंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि महाराजा विक्रमादित्य ने दानशीलता, वीरता, सुशासन और न्यायप्रियता के अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किए थे। न्याय के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तित्व सम्मानित किए जाने चाहिए। इस नाते महाराजा विक्रमादित्य के नाम से न्याय के क्षेत्र में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा एक पुरस्कार प्रारंभ किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार शाम को अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान भोपाल में विक्रमोत्सव-2025 की रूपरेखा पर मंत्रीगण और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे थे। बैठक में बताया गया कि विक्रमोत्सव 26 फरवरी से 05 जून 2025 की अवधि में (महाशिवरात्रि से गंगा दशहरा तक) आयोजित होगा।
वर्ष 2024 में सम्पन्न विक्रमोत्सव को मिला लंबी अवधि के आयोजन का पुरस्कार
बैठक में यह भी बताया गया कि कोलकाता की निजी संस्था द्वारा विक्रमोत्सव-2024 को एशिया के सबसे लंबी अवधि (बिगेस्ट इवेंट अवार्ड) तक चलने वाले आयोजन के रूप में पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। इस वर्ष महाशिवरात्रि से गंगा दशहरा तक लगभग 100 दिन विक्रमोत्सव के अंतर्गत अनेक कार्यक्रम हुए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विक्रमादित्य का जीवन बहुआयामी था। आज युवा पीढ़ी को यह बताने की आवश्यकता है कि विक्रम संवत कैसे प्रारंभ हुआ, महाराजा विक्रमादित्य के न्याय की क्या विशेषताएं थीं और उनके साहस और दान की प्रवृत्ति से प्रजा कैसे लाभान्वित हुई। उन्होंने कहा कि नेपाल जैसे राष्ट्र में विक्रम संवत से कैलेंडर प्रचलन में है। सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन और अन्य महत्वपूर्ण पक्षों की जानकारी पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उज्जैन में पत्थर से प्रतिमाएं तैयार करने के कार्य को प्रोत्साहित किया जाए। विक्रमादित्य शोध पीठ द्वारा मूर्तिकारों को प्रोत्साहित एवं सम्मानित करने का कार्य किया जाए। उन्होंने श्रीकृष्ण संगम के लिए निर्धारित किए गए विभिन्न कार्यों की जानकारी भी प्राप्त की।
महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने जानकारी दी कि ग्वालियर मेले की तर्ज पर व्यापार मेला भी इस वर्ष विक्रमोत्सव का हिस्सा बना। विक्रम पंचांग 2081-82 और कल्चरल गजेटियर सहित अनेक प्रकाशन किए गए। जल संवर्धन अभियान, पारम्परिक शिल्पों के प्रदर्शन, अनादि पर्व, सम्राटविक्रमादित्य अलंकरण, प्रदर्शनी, मंदिरों में प्रभु श्रृंगार प्रतियोगिता, लोकरंजन के अंतर्गत आंचलिक बोलियों के कवि सम्मेलन, श्रीकृष्ण लीलामृत और भगवान श्रीकृष्ण पर केन्द्रित विचार गोष्ठी, वेद अंताक्षरी, विक्रम नाट्य समारोह और पौराणिक फिल्मों के अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव की गतिविधियां सम्पन्न हुईं।
आगामी विक्रमोत्सव की विशेषताएं
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2025 के विक्रमोत्सव में जिलों में पर्यावरण, जलीय संरचनाओं के संरक्षण और संवर्धन की गतिविधियों, विक्रमोत्सव जल गंगा संवर्धन अभियान, सांगीतिक प्रस्तुति, सूर्य उपासना, महाकाल शिवज्योति अर्पणम् की रूपरेखा तैयार की गई है। बैठक में मंत्रीगण और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर