बांग्लादेश की तरह भारत में भी अराजकता फैलाने का प्रयास, रहना होगा सचेतः मोहन भागवत
-संघ प्रमुख ने कोलकाता के आरजी कर कांड को बताया सबसे शर्मनाक घटना
नागपुर, 12 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर में आयोजित विजयादशमी समारोह के अपने उद्बोधन में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने देश में बढ़ती हिंसक घटनाओं, कोलकाता के आरजी कर कांड, जुलूसों पर पथराव, इजराइल-हमास युद्ध और बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जैसे मुद्दे उठाए। डॉ. भागवत ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। समय की मांग यह है कि उन्हें न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया से मदद मिलनी चाहिए। उन्होंने कोलकाता के आरजी कर कांड को समाज की सबसे शर्मनाक घटना बताया।
डॉ. भागवत ने कहा कि विदेशी शक्तियों द्वारा बांग्लादेश की तरह भारत में भी अराजकता फैलाने का प्रयास हो रहा है। नतीजतन भारतीयों को इस षड्यंत्र से सचेत रहना होगा। विश्व में कुछ ऐसी शक्तियां हैं जो नहीं चाहतीं कि कोई देश उनसे आगे बढे़। बीते कुछ वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है। इसके चलते भारत को पीछे ढकेलने के लिए कुछ ताकतें सक्रिय हैं। इसके लिए वह हरसंभव प्रयास में जुटी हैं। समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलकर टकराव की स्थिति पैदा करना, शासन, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना, इससे उस देश पर बाहर से अधिकार चलाना आसान हो जाता है और इसे मंत्र विप्लव कहते हैं। सरसंघचालक ने आह्वान किया कि ऐसी अराजकता फैलाने के प्रयासों को लेकर सचेत रहें।
सरसंघचालक कहा कि बांग्लादेश में यह चर्चा चलती है कि भारत से हमको खतरा है इसलिए पाकिस्तान को साथ लेना चाहिए। दोनों मिलकर भारत को रोक सकते हैं। जिस बांगलादेश के बनने में भारत ने सहायता की, भारत ने कभी कोई बैर नहीं रखा, वहां ये चर्चाएं कौन करा रहा है। ऐसे नरेशन वहां चलें, ये किन-किन देशों के हित की बात है, ये सब समझते हैं। हमारे देश में भी ऐसा हो ये कुछ लोगों की इच्छा है। डीप स्टेट, वोकेइज्म, कल्चरल मार्कशिजम, ये हमारे यहां बहुत पहले से हैं। इसके लिए सबसे पहले संस्थाओं को कब्जे में लेने की कोशिश होती है। बतौर सरसंघचालक भारत विरोधी ताकतों को देश के अंदर भी जाने अनजाने साथी मिल जाते हैं। देश के सीमावर्ती राज्यों में इसकी वजह से क्या हो रहा है हम देख सकते हैं। हमें सतर्क रहकर इन्हें रोकना पड़ेगा।
जुलूसों पर पथराव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के कुकर्मों के लिए पूरे समुदाय को दोषी ठहराने वाली हिंसा असंतोष नहीं, बल्कि बदमाशी है। हाल में ही गणेश विसर्जन जुलूस पर पथराव हुआ। पुलिस को हालात संभालने चाहिए थे, लेकिन जब तक पुलिस नहीं आती है तब तक समाज को इसके खिलाफ खड़ा होना होगा। समाज में गुंडई किसी कि भी हो, मंजूर नहीं हो सकती, लेकिन आत्मरक्षा का अधिकार सभी को होता है। डॉ. भागवत ने कहा कि यह बात किसी को डराने के लिए नहीं कह रहे हैं। वे यह बात किसी से लड़ने के लिए नहीं कह रहे हैं लेकिन समाज को सशक्त और सतर्क रहने की जरूरत है। कमजोर होने से काम नहीं चलेगा।
डॉ. भागवत ने कहा कि कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म व हत्या की घटना काफी शर्मनाक है। कोलकाता की घटना पूरे समाज को कलंकित कर रही है। डॉक्टर इसके खिलाफ खड़े भी हुए लेकिन सरकारी तंत्र अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं, जो काफी गलत है। ये हमारी संस्कृति को बिगाड़ रहा है। इस अवसर पर भागवत ने अपने संबोधन में इजरायल युद्ध का भी जिक्र किया और कहा कि इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इसे लेकर हर कोई चिंतित है कि उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने कहा कि आज के दिन संघ अपने कार्य के 100वें वर्ष में पहुंच रहा है। ये इसलिए भी खास है क्योंकि महारानी दुर्गावती, महारानी होल्कर और महर्षि दयानंद का 200वां जयंती वर्ष भी चल रहा है। इन लोगों ने देशहित में काफी कार्य किए हैं। इन्हें याद करना हम सबका कर्तव्य है। विजयादशमी उत्सव मे इसरो के पूर्व अध्यक्ष पद्मभूषण डॉ. के. राधाकृष्णन बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ. राधाकृष्णन ने भी अपने विचार रखे।
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हिन्दुस्थान समाचार / मनीष कुलकर्णी