यदि आप प्रयास करना नहीं छोड़ते, तो आप हमेशा पहले स्थान पर हो सकते हैं : पूर्व राष्ट्रपति कोविंद
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पूर्व राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री हुए शामिल
रायपुर/बिलासपुर, 04 दिसंबर (हि.स.)। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यदि आप प्रयास करना नहीं छोड़ते, तो आप हमेशा पहले स्थान पर हो सकते हैं। उन्होंने छात्रों से अपने सपनों को साकार करने के लिए परिश्रम करने, भारतीय संस्कृति, मूल्यों और जड़ों से जुड़े रहने, योग और विज्ञान जैसी भारतीय विरासत को अपनाने का आह्वान किया।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गुरुवार को अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के छठवें दीक्षांत समारोह काे बताैर अतिथि संबाेधित कर रहे थे। इस समाराेह की अध्यक्षता राज्यपाल रमेन डेका ने की।अति विशिष्ट अतिथि के तौर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय उपस्थित रहे।
इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्नातक छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और उन्हें शिक्षा, आत्मविश्वास, संकल्प और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान देने के महत्व पर प्रेरित किया। समारोह में 64 शोद्यार्थियों को शोध उपाधि, 92 गोल्ड मेडल एवं 36950 स्नातक एवं स्नातकोत्तर उपाधि दी गईं।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह दिन छात्रों के जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने विद्यार्थियों, विशेषकर पदक विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि उनकी यह उपलब्धि केवल उनकी मेहनत का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे माता-पिता का त्याग, परिवार का सहयोग और गुरुओं का अमूल्य मार्गदर्शन भी निहित है। यह हर विद्यार्थी के लिए एक सुनहरा यादगार पल है, जिसे वे जीवनभर याद रखेंगे।
उन्होंने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों में बेटियाँ शिक्षा के क्षेत्र में कई बार बेटों से आगे निकल रही हैं और इस विश्वविद्यालय के स्वर्ण पदक विजेताओं में भी बेटियों की संख्या उल्लेखनीय है। पूर्व राष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी की ऊर्जा और आत्मविश्वास की सराहना करते हुए कहा कि भारत आज दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी है और वर्तमान युवा इसका ऐतिहासिक साक्षी और भागीदार हैं।
कोविंद ने कहा कि विश्वविद्यालय से स्नातक होना शिक्षा की पूर्णता नहीं है, बल्कि इक्कीसवीं सदी में सफलता के लिए निरंतर सीखना, कौशल निखारना और आत्मविकास अनिवार्य है। उन्होंने विद्यार्थियों से आत्म-प्रबंधन, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और प्रभावी संचार जैसी क्षमताओं के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्हाेंने कहा, “कभी यह मत सोचिए कि आप पीछे रह गए हैं। यदि आप प्रयास करना नहीं छोड़ते, तो आप हमेशा पहले स्थान पर हो सकते हैं।” उन्होंने छात्रों से अपने सपनों को साकार करने के लिए परिश्रम करने, भारतीय संस्कृति, मूल्यों और जड़ों से जुड़े रहने और योग व विज्ञान जैसी भारतीय विरासत को अपनाने का आह्वान किया।
राज्यपाल रमेन डेका ने अपने संबोधन में कहा कि जीवन में अनेक चुनौतियाँ आती हैं, जिनमें कभी-कभी हम गिरते भी हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हर बार स्वयं को संभालकर फिर से खड़ा होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में गिरावट से भयभीत न हों और हमेशा उठने का साहस रखें। राज्यपाल ने कहा कि आज तनाव एक बड़ी चुनौती बन चुका है। इसलिए योग, ध्यान और नियमित शारीरिक गतिविधि को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना जरूरी है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी और उन्हें जीवन में नैतिकता, समर्पण और समाजोपयोगी योगदान की प्रेरणा दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समारोह केवल औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों के सपनों, संकल्पों और संघर्षों का उत्सव है।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव, उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने भी अपना संबोधन दिया। अतिथियों ने विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका कन्हार का विमोचन किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने दिया।
इस अवसर पर क्षेत्र के विधायकगण, अन्य जनप्रतिनिधि संभागायुक्त सुनील जैन, आईजी संजीव शुक्ला, कलेक्टर, यूनिवर्सिटी के फेकल्टी मेंबर, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, विद्यार्थी मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / गायत्री प्रसाद धीवर