मप्रः धार की ऐतिहासिक भोजशाला में सातवें दिन भी जारी रहा एएसआई का सर्वे

 


- छत की ऊपरी सतह एवं 50 मीटर के दायरे में मौजूद सभी धरोहरों की जानकारी दर्ज

धार, 28 मार्च (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे सातवें दिन गुरुवार को भी जारी रहा। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की 17 सदस्यीय टीम ने यहां करीब साढ़े आठ घंटे सर्वे का काम किया। इस दौरान टीम के साथ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और मैपिंग के उपकरण भी नजर आए। गुरुवार को इन्हीं उपकरणों के माध्यम से भोजशाला की छत की ऊपरी सतह का सर्वे किया गया। भोजशाला के 50 मीटर के दायरे में जो भी धरोहर है, उसे भी सर्वे टीम ने अपने रिकार्ड में दर्ज कर लिया। इसके साथ ही भोजशाला के भीतरी भाग के फर्श का भी सर्वे पूरा कर लिया गया है।

एएसआई की टीम गुरुवार सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर भोजशाला पहुंची। गुरुवार को सातवें दिन के सर्वे में टीम के दो नए सदस्य जुड़े। ये दोनों विशेषज्ञ हैं और खास उपकरण लेकर परिसर में पहुंचे थे। उन्होंने छत और भोजशाला की फर्श का सर्वे किया है। भोजशाला के बाहरी मैदान की भी नपती की गई है। टीम के साथ 20 मजदूर भी परिसर में पहुंचे थे। इस दौरान हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा और आशीष गोयल तथा मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान भी भोजशाला में मौजूद रहे। सर्वे का काम साढ़े चार बजे तक चला।

बाहरी क्षेत्र में 50 मीटर दायरे में बारीकी से जांच

मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम ने गत 22 मार्च को भोजशाला का सर्वे शुरू किया था। उच्च न्यायालय ने भोजशाला के 50 मीटर के दायरे का सर्वे करने के लिए कहा है। गुरुवार इस सीमा क्षेत्र में एएसआई की टीम ने करीब तीन घंटे कार्य किया। आसपास के क्षेत्र में जो मकान बने हैं या जो भी धरोहर स्थित है, उनकी भी छोटी से छोटी जानकारी टीम के सदस्य दर्ज कर रहे हैं। परिसर में मौजूद बावड़ी आदि का दस्तावेजीकरण भी किया गया।

वर्तमान में भोजशाला के अंदर तीन स्थान पर गहराई तक खुदाई हो चुकी है। इसके माध्यम से नींव की जांच कर भोजशाला की प्राचीनता का पता लगाने की प्रक्रिया की जा रही है। कार्बन डेटिंग प्रक्रिया के पहले टीम कई तरह की सैंपलिंग भी कर रही है। भोजशाला परिसर में पाषाण हैं, वे रेड सैंड स्टोन श्रेणी के हैं। यहां से प्राप्त नमूनों को लैब में परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। इससे भोजशाला की आयु यानी कालगणना होगी।

अब शुक्रवार, 29 मार्च को सुबह 6 बजे से सर्वे शुरू होगा, क्योंकि जबकि दोपहर एक से तीन बजे तक भोजशाला में नमाज होगी। आगामी कुछ दिनों में भीतरी क्षेत्र में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम कुछ स्थानों पर खोदाई कर सकती है।

भोजशाला मिस्ट्री, हम करेंगे खुलासाः मुस्लिम पक्ष

मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद ने गुरुवार को कहा कि भोजशाला एक मिस्ट्री है। राजा भोज का किला कहां था? भोजशाला कहां थी? यह अस्पष्ट है। इसे ढूंढा जाना चाहिए। हम भी चाहते हैं कि इसे ढूंढा जाए। इस पर हम भी खुलासा करेंगे।

भोजशाला से प्राप्त भगवान विष्णु की मूर्ति मांडू में : हिन्दू पक्ष

मुस्लिम पक्ष के बयान पर हिंदू संगठन के गोपाल शर्मा ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अपना कार्य कर रहा है। निश्चित रूप से आगामी दिनों में सुखद परिणाम आएंगे। उन्होंने कहा कि भोजशाला के पास अकल कुई है, जहां सालों पहले की गई खुदाई के दौरान भगवान विष्णु की एक बड़ी पाषाण प्रतिमा मिली थी, जो 10 टन वजनी है। इसे वर्तमान में मांडू के जहाज महल परिसर के तवेली महल स्थित संग्रहालय में रखा हुआ है। यह अपने आप में बहुत बड़ा प्रमाण है कि भोजशाला मंदिर है। स्काउट-गाइड के पुराने प्रशिक्षण केंद्र के पास आज भी एक प्रतिमा रखी हुई है। यह भी भोजशाला परिसर के 50 मीटर के दायरे में ही आती है।

उन्होंने कहा कि धार कभी नाथ संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण स्थान हुआ करता था। यहां नाथ संप्रदाय की 437 से अधिक समाधि हुआ करती थीं। यहां शिवलिंग भी था। ये सारे प्रमाण इसका मंदिर होना ही दर्शाते हैं। यह सच जल्द ही सामने आ जाएगा। आसपास के खेतों में हल चलाने पर भी मूर्तियां ही मिलती थी। इस तरह से सभी साक्ष्य हमारे पक्ष में हैं। वैसे भी कमाल मौला की मजार तो अहमदाबाद में है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/प्रभात