(वार्षिकी) मध्यप्रदेश ने कैसे बदली महिला अनुकूल पर्यटन की तस्वीर

 


भोपाल, 31 दिसंबर (हि.स.)। साल 2025 मध्यप्रदेश पर्यटन के लिए केवल नए गंतव्यों और आयोजनों का वर्ष नहीं रहा, बल्कि यह वर्ष महिला सुरक्षा, स्वावलंबन और सम्मान को पर्यटन नीति के केंद्र में लाने के लिए याद किया जाएगा। “महिलाओं हेतु सुरक्षित पर्यटन स्थल” परियोजना के माध्यम से राज्य ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि पर्यटन विकास तभी सार्थक है, जब वह महिलाओं के लिए निर्भय, गरिमामय और अवसरों से भरपूर हो।

देशभर में महिला सुरक्षा को लेकर होने वाली चर्चाओं के बीच मध्यप्रदेश ने जमीन पर ठोस काम करते हुए यह दिखाया कि सरकारी योजनाएं अगर संवेदनशीलता और सहभागिता के साथ लागू हों, तो वे समाज में वास्तविक बदलाव ला सकती हैं। वर्ष 2025 में यह पहल राज्य के पर्यटन परिदृश्य में एक मील का पत्थर बनकर उभरी।

निर्भया फंड से सुरक्षित पर्यटन की मजबूत नींव

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से निर्भया फंड अंतर्गत प्रदेश के 50 प्रमुख पर्यटन स्थलों पर इस परियोजना को लागू किया गया। इन स्थलों पर महिला पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे से लेकर व्यवहारिक प्रशिक्षण तक, हर स्तर पर काम किया गया। सीसीटीवी, बेहतर प्रकाश व्यवस्था, सहायता तंत्र, महिला–अनुकूल सुविधाएं और स्थानीय समुदाय की भागीदारी-इन सभी ने मिलकर ऐसे पर्यटन स्थल विकसित किए, जहां महिलाएं बिना भय के यात्रा कर सकें। साल 2025 में यह पहल केवल कागजी योजना नहीं, बल्कि दिखाई देने वाला बदलाव बन गई।

संवेदनशीलता से सशक्तिकरण की ओर

पर्यटन को महिला–अनुकूल बनाने के लिए केवल भौतिक सुरक्षा पर्याप्त नहीं होती, बल्कि व्यवहार और सोच में बदलाव भी जरूरी होता है। इसी उद्देश्य से साल 2025 में 421 क्षमतावर्धन एवं उन्मुखीकरण कार्यशालाएं आयोजित की गईं। इन कार्यशालाओं के माध्यम से 30,089 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। इनमें पर्यटन से जुड़े कर्मचारी, स्थानीय महिलाएं, छात्राएं और सेवा प्रदाता शामिल रहे। कार्यशालाओं में महिलाओं के अधिकार, पर्यटक व्यवहार, आपात स्थितियों में प्रतिक्रिया और लैंगिक संवेदनशीलता जैसे विषयों पर विशेष फोकस रहा। इसका असर यह हुआ कि पर्यटन स्थल केवल सुरक्षित ही नहीं, बल्कि संवेदनशील और सहयोगी वातावरण वाले बनते चले गए।

आत्मरक्षा से आत्मविश्वास तक का सफर

2025 में महिला सुरक्षा को लेकर एक और महत्वपूर्ण कदम रहा-आत्मरक्षा प्रशिक्षण। प्रदेश भर में आयोजित कार्यक्रमों के तहत 37,599 छात्राओं और युवतियों को आत्मरक्षा के व्यावहारिक प्रशिक्षण दिए गए। इन कार्यक्रमों का प्रभाव केवल शारीरिक सुरक्षा तक सीमित नहीं रहा। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा और वे सार्वजनिक स्थानों पर खुद को अधिक सुरक्षित और सशक्त महसूस करने लगीं। पर्यटन स्थलों पर काम करने वाली महिलाओं के लिए यह प्रशिक्षण विशेष रूप से उपयोगी साबित हुआ।

पर्यटन से आजीविका: महिलाओं के लिए नए अवसर

साल 2025 में यह स्पष्ट रूप से देखने को मिला कि पर्यटन केवल घूमने–फिरने का माध्यम नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए रोजगार और स्वावलंबन का मजबूत जरिया बन रहा है। पर्यटन एवं सत्कार क्षेत्र से जुड़ी 48 विभिन्न विधाओं में 9,502 महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया गया। इन महिलाओं को जिप्सी ड्राइवर, नाविक, टूरिस्ट गाइड जैसे पारंपरिक कार्यों के साथ-साथ वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसे आधुनिक और तकनीकी क्षेत्रों में भी अवसर मिले। प्रशिक्षण के बाद इन्हें आजीविका से जोड़ा गया, जिससे पर्यटन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से सशक्त बनी।

महिला नेतृत्व वाले पर्यटन मॉडल की सफलता

2025 में मध्यप्रदेश में महिला–नेतृत्व वाले पर्यटन मॉडल भी चर्चा में रहे। प्राणपुर का हैंडलूम कैफे और पचमढ़ी स्थित होटल अमलतास पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित हैं। ये केवल रोजगार के उदाहरण नहीं, बल्कि गुणवत्ता, अनुशासन और सेवा–भाव के प्रतीक बनकर उभरे हैं। इसके अलावा, प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर 20 टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर महिलाओं द्वारा संचालित किए जाने की प्रक्रिया में हैं। यह पहल दर्शाती है कि महिलाएं अब पर्यटन क्षेत्र में केवल सहायक भूमिका में नहीं बल्कि नेतृत्व की भूमिका में आगे बढ़ रही हैं।

सिंहस्थ 2028 की तैयारी और जेंडर कॉरिडोर

भविष्य को ध्यान में रखते हुए 2025 में सिंहस्थ 2028 की तैयारी भी शुरू कर दी गई। उज्जैन में जेंडर कॉरिडोर विकसित करने के लिए कोकाकोला इंडिया के साथ MOU संपादित किया गया। यह पहल बड़े धार्मिक आयोजनों में महिला सुरक्षा, सुविधा और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए एक नवाचारपूर्ण मॉडल के रूप में देखी जा रही है, जिसे भविष्य में अन्य राज्यों और आयोजनों में भी अपनाया जा सकता है।

महिला–अनुकूल पर्यटन की नई पहचान

साल 2025 को देखें तो “महिलाओं हेतु सुरक्षित पर्यटन स्थल” परियोजना ने मध्यप्रदेश पर्यटन को संवेदनशील, समावेशी और भविष्य-उन्मुख दिशा दी है। यह पहल केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और स्वावलंबन की कहानी भी बनी। 2025 वह वर्ष रहा, जब मध्य प्रदेश ने यह साबित किया कि यदि नीति, नीयत और क्रियान्वयन एक साथ हों, तो पर्यटन महिलाओं के लिए जोखिम नहीं, बल्कि अवसरों का सुरक्षित द्वार बन सकता है। यही वजह है कि राज्य आज महिला-अनुकूल पर्यटन के राष्ट्रीय मानचित्र पर एक अग्रणी उदाहरण के रूप में उभरता दिखाई दे रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत