नरेन्द्र मोदी ने बोड़ोलैंड की समस्या का समाधान कियाः अमित शाह

 










- केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने बाथौ महासभा सम्मेलन को किया संबोधित

- आज यह क्षेत्र हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास के पथ पर आगे बढ़ रहाः शाह

गुवाहाटी, 20 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को असम के तेजपुर में 13वें त्रिवार्षिक बाथौ महासभा सम्मेलन को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न मान्यताओं वाला देश है और बाथौ धर्म पारंपरिक सनातन धर्म के साथ ही विकसित हुआ है और यह भारत का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये दृष्टिकोण और प्रयासों से पूर्वोत्तर में बोड़ोलैंड समस्या का समाधान हुआ और आज यह क्षेत्र हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि दुलाराई बाथौ गौथम की स्थापना 1962 में गुवाहाटी में हुई थी और तब से यह बोड़ो समुदाय और बाथौ धर्म के लिए काम कर रहा है। शाह ने कहा कि इस महासभा ने व्यावहारिक और वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ बोड़ो समुदाय की जीवनशैली में बाथौ धर्म को प्रतिबिंबित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि असम सरकार ने माघ महीने के दूसरे मंगलवार को बाथौ पूजा के लिए छुट्टी घोषित की है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि वह बाथौ महासभा के आध्यात्मिक दृष्टिकोण यानी धर्म, अहिंसा, शांति, क्षमा और करुणा के माध्यम से पूरी दुनिया और विशेष रूप से हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि बाथौ धर्म के बारे में वही जान सकता है जो बाथौ शब्द का मतलब जानता हो। उन्होंने कहा कि बा का अर्थ है पांच और थौ का अर्थ है गहरा यानी पांच तत्वों का विज्ञान और उनके गूढ़ रहस्यों को समझने की प्रक्रिया। उन्होंने कहा कि बोड़ो समुदाय के बाथौ धर्म का मूल सिद्धांत पांच तत्वों की एकता का संदेश देना है। उन्होंने कहा कि बाथौ धर्म के दर्शन के अनुसार, बोराई बाथौ ब्रह्मांड में व्याप्त है। शाह ने कहा कि पंचतत्व का यह दर्शन प्रकृति की पूजा का दर्शन है और बाथौ धर्म का ध्वज भी इसी को दर्शाता है। शाह ने कहा कि बाथौ झंडा और धर्म दोनों ही पांच तत्वों की पूजा का संदेश देते हैं।

अमित शाह ने कहा कि बाथौइज्म के पांच नैतिक संदेश पूरे देश और दुनिया को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि बाथौ धर्म पवित्र अनुभव, पवित्र आचरण, करुणा, सत्य और घृणा का त्याग इन पांच मूल संदेशों के आधार पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार और असम सरकार सभी धर्मों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारी विश्वास प्रणालियों के अनुसार प्रकृति से बढ़कर कुछ भी नहीं है और केंद्र में पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार हमारे धर्मों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी, जो प्रकृति-पूजा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, खासकर पूर्वोत्तर में। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों की रक्षा के लिए जो भी जरूरी होगा हम जरूर करेंगे।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि बोड़ो आंदोलन का एक लंबा इतिहास है और बोड़ो लोगों ने अपनी संस्कृति को बचाने के लिए बहुत संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की नीति बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाकर सत्ता का आनंद लेने की थी और इसी नीति के कारण हजारों लोगों की जान चली गयी। उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बोड़ो समझौता हुआ और आज पूरे बोड़ोलैंड में शांति और सद्भाव का माहौल है। शाह ने कहा कि बोड़ोलैंड में पिछले 3 वर्षों में हिंसा की एक भी घटना नहीं देखी गई है और बोड़ोलैंड अब प्रगति के पथ पर है। उन्होंने कहा कि यहां विकास की नई गाथा शुरू हुई है। प्रधानमंत्री मोदी का पूरे पूर्वोत्तर में विकास और शांति स्थापित करने का मिशन आज सफल हो गया है।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में पूरे पूर्वोत्तर में हिंसा की घटनाओं में 73 फीसदी की कमी, सुरक्षा बलों के जवानों की मृत्यु में 71 फीसदी की कमी और नागरिकों की मृत्यु में 86 फीसदी की कमी देखी गई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में नौ शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं और लगभग नौ हजार युवा हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि 27 जनवरी 2020 को मोदी सरकार द्वारा तय किये गये समझौते से 16 सौ से अधिक युवा समाज की मुख्यधारा से जुड़ गये हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और असम सरकार ने मिलकर इस क्षेत्र के विकास के लिए 15 सौ करोड़ रुपये का विकास पैकेज दिया है। उन्होंने कहा कि आज असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में पूरा असम शांति के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बोड़ो कछारी कल्याण स्वायत्त परिषद बनाई है और अब राज्य सरकार ने स्थानीय बोड़ो भाषा को असम की सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने का काम किया है। बोड़ोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के 10 कॉलेजों का स्थानीयकरण किया गया है और रुपये का मुआवजा दिया गया है। पूर्ववर्ती एनडीएफबी के 4 हजार 200 कैडरों को 4-4 लाख रुपये भी प्रदान किए गए हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश/प्रभात