गुरुद्वारों पर नहीं लगेगा केसरिया ध्वज, अब निशान साहिब का रंग होगा बसंती या सुरमई

 


- अकाल तख्त साहिब के पांच सिंह साहिबानों का फैसला

- केसरिया झंडे के रंग पर शुरू हुए विवाद को किया खत्म

- एसजीपीसी सभी गुरुद्वारों में लागू करवाएगी नए रंग का झंडा

चंडीगढ़, 30 जुलाई (हि.स.)। देश-विदेश में स्थापित गुरुद्वारा साहिबानों पर लहराने वाले झंडे का रंग अब बसंती या सुरमई होगा। केसरी (भगवा) रंग के झंडे अब गुरुद्वारा साहिबानों पर नहीं फहराए जाएंगे। यह फैसला अकाल तख्त साहिब के पांच सिंह साहिबानों की बैठक में लिया गया, जिसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है।

पंजाब-हरियाणा समेत देश-विदेश में स्थापित ज्यादातर गुरुद्वारों में केसरी रंग के झंडे लगे हैं। इसे लेकर पिछले कई महीनों से अकाल तख्त साहिब के पास शिकायतें आ रही थीं। केसरी रंग के झंडे एक अन्य हिंदूवादी संगठन के साथ मेल खाने के कारण यह विवाद चला हुआ है। लंबी बहस के बाद पांचों तख्तों के सिंह साहिबानों ने एक बैठक करके गुरुद्वारा साहिबानों पर झुलाए जाने वाले निशान साहिब (झंडे) का रंग तय कर दिया है।

गुरुद्वारों में निशान साहिब (सिख ध्वज) के कपड़े के रंग पर आपत्ति के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपने अधीन सभी गुरुद्वारों को पत्र लिखकर निशान साहिब को सिख रहत मर्यादा में बताए गए रंगों में ही लगाने को कहा है। उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि सुरमई (नीला) और बसंती (नारंगी रंग) के रंग बदले जा रहे हैं, जो सिख रहत मर्यादा के खिलाफ है। अकाल तख्त ने एसजीपीसी को गुरुद्वारों के प्रबंधन को निशान साहिब के रंग के बारे में स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह ने बताया कि अकाल तख्त से मिले निर्देशों के बाद एसजीपीसी ने अपने अधीन सभी गुरुद्वारों को एक परिपत्र जारी कर निशान साहिब के लिए सिख रहत मर्यादा द्वारा सुझाए गए रंग का ही इस्तेमाल करने को कहा था।

निशान साहिब के बारे में एसजीपीसी द्वारा प्रकाशित सिख रहत मर्यादा में कहा गया है कि हर गुरुद्वारे में एक ऊंचे स्थान पर निशान साहिब स्थापित किया जाना चाहिए। झंडे का कपड़ा या तो बसंती या गहरे नीले रंग का होना चाहिए और ध्वज स्तंभ के ऊपर या तो भाला या खंडा होना चाहिए। पूर्व एसजीपीसी महासचिव जी एस ग्रेवाल के अनुसार परंपरागत रूप से निशान साहिब का रंग सुरमई या बसंती था लेकिन समय को देखते हुए लोगों ने रंग का स्वरूप बदलना शुरू कर दिया, इसलिए अब अकाल तख्त द्वारा सुधार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि निशान साहिब का भगवाकरण किया गया था। प्रताप सिंह ने कहा कि सभी गुरुद्वारा प्रबंधकों को सलाह दी जाती है कि वे सिख रहत मर्यादा में वर्णित रंग से भिन्न रंग का निशान साहिब फहराने वाले गुरुद्वारा साहिब को बदलकर पारंपरिक रंग लगा लें।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा / दधिबल यादव