जनकपुरधाम में शुरू हुआ श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव, एक हफ्ते तक चलेगा कार्यक्रम

 




काठमांडू, 12 दिसम्बर (हि.स.)। विवाह पंचमी पर हर वर्ष मनाए जाने वाले श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव का आज भव्य रूप से शुरूआत की गई। यह महोत्सव एक हफ्ते तक चलता है।

त्रेता युग में अयोध्या के राजकुमार राम और मिथिला की राजकुमारी जानकी के बीच हुए विवाह की परम्परा अयोध्याधाम से लेकर जनकपुरधाम तक आज भी उसी रीति रिवाज के साथ निभाई जाती है। विवाह महोत्सव में शामिल होने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य भारतीय राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जनकपुरधाम पहुंचते हैं। नेपाल सरकार, मधेश सरकार और जनकपुरधाम स्थित जानकी मंदिर की तरफ से इस समारोह का आयोजन किया जाता है।

जनकपुरधाम स्थित जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंथ बाबा राम रोशन दास ने बताया कि मंगलवार को नगर दर्शन के साथ महोत्सव की शुरुआत हुई है। ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम जब पहली बार मिथिला देश की राजधानी जनकपुरधाम पधारे थे तो पहले दिन उन्होंने जनकपुर नगर का परिक्रमा किया था। इसलिए विवाह पंचमी महोत्सव के पहले दिन नगर परिक्रमा की जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग सहभागी होते हैं।

महोत्सव के दूसरे दिन फुलवारी लीला होती है, जहां भगवान श्रीराम जब बाग में जाते हैं तो पहली बार माता जानकी से उनकी मुलाकात होती है। इसीलिए विवाह आयोजन फुलवारी में किया जाता है। इसी तरह तीसरे दिन धनुष यज्ञ जनकपुरधाम के रंगभूमि मैदान में किया जाता है। चौथे दिन तिलकोत्सव का आयोजन जनकपुर स्थित श्रीराम मंदिर परिसर में होता है, जहां जानकी मंदिर की तरफ से अयोध्या के साधु संतों और प्रतिनिधियों के सामने भगवान श्रीराम को परम्परागत रूप से चले आ रहे तिलक चढाने की परम्परा निभाई जाती है।

जानकी मंदिर के महंथ ने बताया कि विवाह महोत्सव के पांचवे दिन मटकोर होता है। मिथिला परम्परा की शादियों में विवाह से एक दिन पहले मटकोर पूजा होगी। विवाह पंचमी का सबसे प्रमुख आकर्षण राम सीता विवाह छठे दिन आयोजित होगा। जानकी मंदिर परिसर में अयोध्या से आए हजारों बराती और लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में विवाह समारोह की सारी रस्मे अदा की जाती है।

समारोह के आखिरी दिन को रामकलेवा के रूप में मनाया जाता है। विवाह के अगले दिन मिथिला में बारातियों के लिए भव्य भोज का आयोजन किया जाता है, जिसे मरजाद भी कहा जाता है। अयोध्या से आए बराती सातवें दिन मैथिली पारम्परिक व्यंजनों और पकवानों का आनंद उठा रहे होंगे तो उस समय मिथिला क्षेत्र यानि जनकपुर की महिलाएं उनका स्वागत गीत गाकर करती है, जिसमें पारम्परिक गालियां दी जाती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज दास/सुनीत