ट्रंप के तीन फैसलों से नेपाल सरकार की चिंता बढ़ी

 

काठमांडू, 22 जनवरी (हि.स.)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले दिन किए गए कई फैसलों में से तीन ने नेपाल की चिंता बढ़ा दी है। इन तीन फैसलों में विश्व स्वास्थ्य संगठन, क्लाइमेट चेंज और अवैधानिक प्रवासी संबंधी फैसला शामिल है।

20 जनवरी को राष्ट्रपति पद का शपथ लेने के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने 60 से अधिक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया था। इनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन को किए जा रहे फंडिंग और पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग किए जाने का असर नेपाल पर भी पड़ने वाला है। इसके अलावा अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों पर होने वाली कार्रवाई ने भी नेपाल सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

नेपाल में स्वास्थ्य मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों में सबसे अधिक आर्थिक सहयोग विश्व स्वास्थ्य संगठन का ही रहता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव संगीता मिश्रा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के नए घोषणा से नेपाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से चल रहे कई कार्यक्रमों को बंद करने की नौबत आ सकती है।

उन्होंने बताया कि नेपाल में पोलियो उन्मूलन से लेकर मातृ तथा बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, नवजात और बालबालिका संबंधी रोग, मातृ तथा प्रसवकालीन मृत्यु, प्रजनन तथा महिला स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन के आर्थिक सहयोग से चल रहा था।

उनका कहना है कि अमेरिका के द्वारा इससे अलग होने के कारण अब बजट पर बहुत बड़ा असर पड़ सकता है तथा नेपाल जैसे गरीब देशों के बजट में कटौती की जा सकती है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा बजट में कटौती की गई तो इनमें से कुछ कार्यक्रम को बंद करना होगा या फिर नेपाल को अपना बजट देना होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति के द्वारा हस्ताक्षर किए गए एक और कार्यकारी आदेश का नेपाल में प्रत्यक्ष असर दिखाई देने वाला है औरवाह है अमेरिका का पेरिस जलवायु संबंधी पेरिस समझौता से अलग होना। अभी दो दिन पहले ही जलवायु परिवर्तन को आधार बनाकर नेपाल ने सागरमाथा संवाद की घोषणा की थी। उस कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक सहयोग से किए जाने की बात कही गई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति के नए आदेश के बाद नेपाल। जैसे विकासशील देश को जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे नुकसान के एवज में करोड़ों डॉलर सहयोग मिलता था जिससे नेपाल में जलवायु परिवर्तन को लेकर कई परियोजनाएं चलाई जा रही थी।

अमेरिका के तरफ से इस क्षेत्र में फंडिंग बंद होने से नेपाल में जलवायु परिवर्तन से संबंधित कार्यक्रमों को बंद करना पड़ सकता है। नेपाल में जलवायु संबंधी कार्य करने वाली अंतराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन के प्रमुख पेमा ज्ञाम्तसो ने कहा कि कार्बन गैस उत्सर्जन करने वाले देश के द्वारा दिए गए बजट से ही विकासशील देशों को उससे होने वाले नुकसान की भरपाई दी जाती थी।

उन्होंने कहा कि अमेरिका सबसे अधिक कार्बन गैस उत्सर्जन करने वाला देश है और अगर वही इसकी भरपाई नहीं करेगा तो नेपाल जैसे देशों में जलवायु परिवर्तन जैसे विषय पर कुछ भी करना मुश्किल है। उन्होंने विश्वास जताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के अवैध नागरिकों के निष्कासन संबंधी फैसले का असर भी नेपाल में होने वाला है। नेपाल के कम से कम दस हजार से अधिक नागरिक अवैध तरीके से अमेरिका में रहने का अनुमान विदेश मंत्रालय ने किया है। यदि अमेरिका इनको बाहर निकालता है तो निश्चित ही यह नेपाल।सरकार के लिए सरदर्द होने वाला है।

पूर्व विदेश मंत्री एनपी साउद ने कहा कि यदि अमेरिका से एक साथ दस हजार नेपाली नागरिकों को निष्कासित किया जाता है तो उनके स्वदेश वापसी करना और उनको नेपाल में फिर से पुनर्वास करना नेपाल सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने सरकार से तत्काल इसके विभिन्न उपायों पर विचार करते हुए इसकी तैयारी शुरू करने का आग्रह भी किया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास