38 करोड़ भ्रष्टाचार के आरोप में निलम्बित मुख्य सचिव को मात्र 50 हजार रुपये पर मिली जमानत
काठमांडू, 28 जुलाई (हि.स.)। नेपाल सरकार के ब्यूरोक्रेसी के सबसे बडे अधिकारी मुख्य सचिव के पद से एक महीने पहले ही निलम्बित किए गए वैकुंठ अर्याल पर 38 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा दायर किया गया था। लेकिन आज अदालत ने सिर्फ 50 हजार रुपये के बेल पर रिहा करने का आदेश दिया है।
सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस खरीद मामले की जांच करने वाली एंटी करप्शन ब्यूरो ने नेपाल सरकार के मुख्य सचिव वैकुंठ अर्याल को दोषी ठहराते हुए विशेष अदालत में उनके खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी। नेपाल के कानून के मुताबिक भ्रष्टाचार सहित किसी भी मामले में आरोपित बनाते हुए यदि किसी जांच एजेंसी के द्वारा चार्जशीट दायर होते ही संबंधित व्यक्ति तत्काल प्रभाव से निलंबित हो जाता है। प्रचण्ड सरकार के समय मुख्य सचिव रहे अर्याल के खिलाफ मुकदमा दायर होते ही स्वत: पद से निलम्बित हो गए थे।
अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए निलम्बित मुख्य सचिव ने जमानत की अर्जी डाली थी। विशेष अदालत के मुख्य न्यायाधीश टेक बहादुर कुंवर सहित तीन जजों के बेंच ने अर्याल को 50 हजार रुपये के निजी मुचल्के पर उन्हें जमानत दे दिया है। विशेष अदालत के प्रवक्ता धन बहादुर कार्की ने बताया कि मामले के अंतिम सुनवाई होने तक मुख्य सचिव वैकुंठ अर्याल को जमानत दे दिया गया है।
निलम्बित मुख्य सचिव अर्याल पर सूचना तथा संचार सचिव रहते हुए स्टांप ड्यूटी का स्टीकर की छपाई के लिए सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस खरीद मामले में 38 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया गया है। ब्यूरो ने अपने चार्जशीट में अर्याल सहित 11 लोगों को आरोपित बनाया गया है। इनमें से अधिकांश इस समय जेल की सजा काट रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास / आकाश कुमार राय