चीन की तरफ से नेपाल को आर्थिक सहयोग की घोषणा भाषण और आश्वासन में ही सीमित

 




काठमांडू, 14 दिसंबर (हि.स.)। नेपाल और चीन के बीच जब भी उच्च स्तरीय भ्रमण होता है, हर बार चीन के तरफ से नेपाल को आर्थिक अनुदान दिए जाने की घोषणा होती है लेकिन अरबों रुपये दिए जाने की घोषणा सिर्फ भाषणों और आश्वासन में ही सीमित है। पिछले दस वर्षों से नेपाल को चीन के तरफ से इनमें से एक भी आर्थिक अनुदान नहीं मिल पाया है।

हाल ही में प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की चीन भ्रमण के दौरान विभिन्न सहमति समझौते के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल को 500 मिलियन आरएमबी (930 करोड़ रुपये) आर्थिक अनुदान देने की घोषणा की थी। यह पहला मौका नहीं है जब चीन की तरफ से इस तरह की घोषणा की गई है।

सन 2017 में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेपाल की दो दिनों की यात्रा पर आए थे उस समय भी उन्होंने 3.5 बिलियन आरएमबी (6540 करोड़ रुपये) देने की घोषणा की थी लेकिन घोषणा के सात वर्षों बाद भी इनमें से एक रुपए भी चीन के तरफ से नहीं दिया गया है।

विदेश मंत्रालय के कार्यवाहक सचिव अमृत राई ने बताया कि अगर पिछले दस वर्षों में चीन के तरफ से अलग-अलग समय में घोषणा किए गए आर्थिक अनुदान की रकम 12,000 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले दस वर्षों में नेपाल को इन घोषणाओं के बदले एक भी पैसा नहीं मिल पाया है।

नेपाल के पूर्व वित्त मंत्री डॉ. प्रकाश शरण महत ने बताया कि इस बार भी पीएम ओली के चीन भ्रमण से पहले मैं बार बार यह कहता रहा कि चीन के साथ कोई भी नया समझौता करने से पहले पुराने वाले आर्थिक अनुदान का पैसा लेने की बात करनी चाहिए लेकिन पिछली घोषणाओं के आधार पर नेपाल को पैसा मिलने की बात दूर इस बार फिर से 930 करोड़ रूपये की घोषणा हो गई।

वित्त मंत्रालय के अंतर्गत रहे वैदेशिक सहयोग महाशाखा के प्रमुख धनीराम शर्मा ने बताया कि सन 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति विद्या भंडारी के चीन भ्रमण के दौरान भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल के लिए 1000 मिलियन आरएमबी (1860 करोड़ रूपये) देने की घोषणा की गई थी। शर्मा के मुताबिक उस समय से दर्जनों बार इस बारे में प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए चीनी दूतावास मार्फत पत्र भेजा गया लेकिन उस पर कोई जवाब नहीं आया।

इसी तरह सन 2022 में नेपाल के तत्कालीन विदेश मंत्री डा नारायण खड़का के चीन भ्रमण के दौरान भी चीनी स्टेट काउंसिल के तरफ से 800 मिलियन आरएमबी यानि 1488 करोड़ रुपये आर्थिक अनुदान देने की घोषणा की थी। वैदेशिक महाशाखा के प्रमुख शर्मा ने बताया कि चीन के तरफ से किए गए घोषणाओं को अलिखित समझौता कहा जा सकता है क्योंकि जब तक घोषणा किए गए रकम को लेकर लिखित समझौता नहीं होता है तब तक हमारे रेकॉर्ड में इसे नहीं रखा जाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास