भजनों का क्रम कभी खत्म नहीं होगा : अनूप जलोटा

 






बाराबंकी, 11 दिसम्बर(हि.स.)। महादेवा महोत्सव में आए पद्मश्री भजन सम्राट अनूप जलोटा ने कहा कि वह अब तक पांच हजार से अधिक लाइव संगीत कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण कर चुके हैं। भजनों का क्रम कभी खत्म नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि भजन गायकी को इसलिए चुना, क्योंकि यह अध्यात्म से जुड़ा है। वह कहते हैं, जब गायन की विद्या अध्यात्म से जुड़ती है तो उसका स्थान प्रथम हो जाता है। अनूप जलोटा ने फिल्मों में कुछ रोमांटिक गाने भी गाए हैं, लेकिन उनका झुकाव भजन और गजल गायकी की तरफ ही रहा है। उन्होंने बताया कि छह भाषाओं में बारह सौ से अधिक भजन गाए हैं।

उल्लेखनीय है कि 2012 में पद्मश्री जैसे बड़े पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया। श्री जलोटा रियलिटी शो बिग बॉस 12 में भी एक प्रतियोगी रहे हैं। उन्होंने सत्य साईं बाबा फिल्म में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सत्य साईं बाबा की भूमिका भी निभाई है। इनका जन्म 29 जुलाई 1953 को उत्तराखंड के नैनीताल में हुआ था। यह शुरू से ही किशोर कुमार के गानों की शौकीन थे। लखनऊ के भारत खंडे संगीत संस्थान से इन्होंने शिक्षा ग्रहण की। ऑल इंडिया रेडियो में एक कोर्स गायक के रूप में इन्होंने अपना संगीत का करियर शुरू किया।

29 जुलाई 1953 को जन्मे भजन सम्राट अनूप जलोटा ने भजन गायन को ऐसे समय में चुना जब मुकेश, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार जैसे गायकों के प्रभावित होकर लोग इनके जैसा गायक बनना चाह रहे थे। इनके फिल्मी करियर की बात करें तो उन्हें अभिनेता मनोज कुमार की वजह से इंडस्ट्री में पहचान मिली। एक्टर को उनकी आवाज बेहद पसंद आई और उन्होंने अपनी फिल्म 'शिरडी के साई बाबा'में उनका गाना रख दिया। उनकी यह फिल्म हिट साबित हुई। इसके साथ ही फिल्म में अनूप का गाना भी दर्शकों को काफी पसंद आया। फिर क्या था सिंगर को बॉलीवुड में एक उभरते हुए सितारे के रुप में पहचान मिली और देखते ही देखते वह भजन सम्राट बन गए।

महादेवा महोत्सव की पहली शाम रही भजन सम्राट अनूप जलोटा के नाम

महादेवा महोत्सव की पहली संध्या पद्मश्री भजन सम्राट अनूप जलोटा के नाम रही।उनके द्वारा गाए गए एक से एक भजनों पर श्रोता झूमते रहे। उन्होंने जब अपना भजन 'ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन... वह तो गली गली प्रभु गुण गाने लगी... गाया तो लोग तालिया बजाने लगे।

उसके बाद उन्होंने अपना पुराना हिट भजन 'जग में सुंदर है दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम... गाकर लोगों का मन मोह लिया। इसके बाद उन्होंने भजनों की झड़ी लगा दी। उनके द्वारा रंग दे चुनरिया, एक राधा एक मीरा दोनों, प्रभु तुम चंदन हम बाती, मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे जाऊं,तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को डरे,तोरा मन दर्पण कहलाए, तेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम बसे सुना कर धूम मचा दी। काफी देर तक उनको सुनाने के लिए श्रोता बैठे रहे भारी भीड़ रही।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज

/राजेश