फिल्म रिव्यू : 'दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी'

 


फिल्म : 'दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी'

कास्ट : संजय मिश्रा, महिमा चौधरी, व्योम यादव, पालक ललवानी और श्रीकांत वर्मा

निर्देशक : सिद्धांत राज सिंह

निर्माता : एक्शा एंटरटेनमेंट

जॉनर : रोमांटिक कॉमेडी फैमिली ड्रामा

रेटिंग्स : 2.5 स्टार्स

संजय मिश्रा और महिमा चौधरी स्टारर फिल्म दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी आज के शोरगुल भरे कमर्शियल सिनेमा से अलग हटकर एक साफ़-सुथरी, पारिवारिक कहानी पेश करने की कोशिश करती है। फिल्म इमोशन और कॉमेडी के मिश्रण के ज़रिए रिश्तों की अहमियत को रेखांकित करती है, हालांकि इसकी प्रस्तुति हर जगह उतनी प्रभावी नहीं बन पाती।

कहानी :

वाराणसी की पृष्ठभूमि पर बनी यह कहानी मुरली (व्योम यादव) और महक (पालक लालवानी) के प्रेम और विवाह की इच्छा से शुरू होती है। लड़की के पिता की शर्त, मुरली के घर में एक महिला का होना, कहानी को दिलचस्प मोड़ देती है। यहीं से दुर्लभ प्रसाद (संजय मिश्रा) की दूसरी शादी का विचार जन्म लेता है। कॉन्सेप्ट नया और दिलचस्प है, लेकिन पटकथा कई जगह खिंची हुई लगती है और कुछ दृश्य पहले से अनुमानित हो जाते हैं।

परफॉर्मेंस :

संजय मिश्रा फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं। अपने सहज अभिनय और कॉमिक टाइमिंग से वे कई दृश्यों को संभाल लेते हैं। महिमा चौधरी का कमबैक गरिमापूर्ण है, हालांकि उनके किरदार को और गहराई दी जा सकती थी। व्योम यादव ईमानदार प्रयास करते हैं, जबकि पालक लालवानी अपने किरदार में ठीक-ठाक असर छोड़ती हैं।

निर्देशन :

निर्देशक ने बनारस के माहौल को खूबसूरती से कैमरे में कैद किया है, लेकिन कहानी की रफ्तार और ट्रीटमेंट में कसावट की कमी महसूस होती है। कुछ सीन असर छोड़ते हैं, तो कुछ सीन फिल्म की गति को धीमा कर देते हैं।

म्यूजिक :

फिल्म का संगीत मधुर है और कहानी के मूड के साथ चलता है। गाने कानों को अच्छे लगते हैं, हालांकि कोई भी गीत लंबे समय तक याद रह जाने वाला नहीं बन पाता।

फाइनल वर्डिक्ट :

'दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी' एक नेक इरादों वाली क्लीन फैमिली फिल्म है, जो रिश्तों और भावनाओं की बात करती है। दमदार अभिनय और प्यारा कॉन्सेप्ट होने के बावजूद कमजोर स्क्रीनप्ले और धीमी रफ्तार इसे औसत बना देती है। अगर आप हल्की-फुल्की, पारिवारिक कहानी देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे