फिल्म 'पिप्पा' में कवि नजरुल इस्लाम के गाने पर विवाद, मेकर्स ने सफाई देते हुए मांगी माफी
ईशान खट्टर की 'पिप्पा' 10 नवंबर को अमेजन प्राइम पर रिलीज हो गई। फिल्म में सौ साल पुराने गाने को रीक्रिएट किया गया है। यह गाना मशहूर बांग्ला कवि काजी नजरूल इस्लाम के लोकप्रिय देशभक्ति गीत ''करार ओई लुहो कोपट'' पर आधारित है। एआर रहमान द्वारा रीक्रिएट किए गए इस गाने को अच्छा रिस्पॉन्स मिला। लेकिन इस गाने से विवाद शुरू हो गया है। इस विवाद को लेकर मेकर्स ने सफाई दी है।
विवाद क्यों?
संगीतकार एआर रहमान ने फिल्म में इस मशहूर गीत को नए रूप में पेश किया है, लेकिन कुछ दिन पहले इस पर विवाद शुरू हो गया। कवि काजी नजरूल इस्लाम के पोते, चित्रकार काजी अनिर्बान ने दावा किया कि परिवार ने निर्माताओं को गीत के उपयोग की अनुमति दी थी, लेकिन धुन व लय बदलने की नहीं।
विवाद पर प्रोड्यूसर्स ने दी सफाई
एक बयान में, आरएसवीपी और रॉय कपूर फिल्म्स द्वारा निर्मित 'पिप्पा' के पीछे की टीम ने कहा कि टीम गीत की मूल रचना, कवि इस्लाम और संगीत, राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में उनके अपार योगदान का बहुत सम्मान करती है। टीम ने यह भी कहा कि यह गीत बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था।
'करार ओई लुहो कोपट' गाने को लेकर चल रहे विवाद के मद्देनजर फिल्म 'पिप्पा' के निर्माता, निर्देशक और संगीतकार ने स्पष्ट किया है कि जो गाना प्रस्तुत गया किया है वह एक ईमानदार कलात्मक व्याख्या है। इसका निर्माण काजी नजरूल इस्लाम के रिश्तेदारों से इस संबंध में अधिकार प्राप्त करने के बाद किया गया था। हम मूल सामग्री के साथ दर्शकों के भावनात्मक जुड़ाव को समझते हैं। लेकिन अगर हमारे गाने से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं या परेशानी हुई है तो हम ईमानदारी से माफी मांगते हैं।
इस बीच, यह गीत पहली बार 1922 में 'बांग्लार कथा' (बंगाल की कहानियां) पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। बाद में कवि इस्लाम की पुस्तक 'भांगर गान' में शामिल किया गया। इसे पहली बार 1949 में एक प्रसिद्ध संगीत कंपनी द्वारा और फिर 1952 में एक अन्य कंपनी द्वारा रिकॉर्ड किया गया था।
हिन्दुस्थान समाचार/ लोकेश चंद्रा/संजीव