इस मंदिर में राक्षसी को पूजा जाता है देवी रूप में, महाभारत काल से जुड़ा है इसका इतिहास
हिमाचल प्रदेश अपनी खूबसूरती, पर्यटन स्थल और अपनी आकर्षक जगहों के लिए जाने जाता है। अपनी ऊंची-ऊंची घाटियों और पहाड़ियों के साथ हिमाचल की प्राकृतिक खूबसूरती यहां आने वाले लोगों को शांति और सुकून प्रदान करती है। ऐसे में आज हम आपको यहां स्तिथ एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां भीम की दूसरी पत्नी की पूजा होती है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में काफी लोकप्रिय है और यहां हर साल महोत्सव का भी आयोजन होता है। मनाली के निकट स्थित यह मंदिर विशालकाय देवदार वृक्षों के बीच चार छतों वाली पैगोड़ा शैली का है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण कुल्लू के शासक बहादुर सिंह ने 1553 में करवाया था। इस मंदिर की दीवारें परंपरागत पहाड़ी शैली में बनी हैं। इसका प्रवेश द्वार कठ नक्काशी का उत्कृष्ट नमूना है। तो चलिए जानते है इस मंदिर के इतिहास के बारे में...
हिमाचल प्रदेश अपनी खूबसूरती, पर्यटन स्थल और अपनी आकर्षक जगहों के लिए जाने जाता है। अपनी ऊंची-ऊंची घाटियों और पहाड़ियों के साथ हिमाचल की प्राकृतिक खूबसूरती यहां आने वाले लोगों को शांति और सुकून प्रदान करती है। ऐसे में आज हम आपको यहां स्तिथ एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां भीम की दूसरी पत्नी की पूजा होती है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में काफी लोकप्रिय है और यहां हर साल महोत्सव का भी आयोजन होता है। मनाली के निकट स्थित यह मंदिर विशालकाय देवदार वृक्षों के बीच चार छतों वाली पैगोड़ा शैली का है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण कुल्लू के शासक बहादुर सिंह ने 1553 में करवाया था। इस मंदिर की दीवारें परंपरागत पहाड़ी शैली में बनी हैं। इसका प्रवेश द्वार कठ नक्काशी का उत्कृष्ट नमूना है। तो चलिए जानते है इस मंदिर के इतिहास के बारे में...
मनाली में स्थित हिडिंबा देवी मंदिर भीम की दूसरी पत्नी राक्षस हिडिंबा को समर्पित है। मंदिर में देवी की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है बल्कि यहां हिडिंबा के पदचिह्नों की पूजा होती है। इस मंदिर को ढुंगरी मंदिर के नाम से भी बुलाया जाता है। यह मंदिर एक चार मंजिला संरचना है जो जंगल के बीच में स्थित है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु और सैलानी आते हैं।
हिडिंबा इस क्षेत्र में अपने भाई हिडिंब के साथ रहती थी। उसने कसम खाई थी कि जो भी उसके भाई को लड़ाई में हराएगा वो उसी के साथ शादी करेगी। जब पांडव अपने निर्वासन के दौरान इस क्षेत्र से निकले तो भीम ने स्थानीय लोगों को हिडिंब के अत्याचारों से बचाने के लिए मार डाला। इस तरह से हिडिंब की बहन हिडिंबा ने भीम से शादी कर ली।
भीम और हिडिंबा से एक पुत्र हुआ जिसका नाम घटोत्कच था, जो कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के लिए लड़ते हुए मारा गया था। यह मंदिर दूर से देखने पर कलश के आकार की तरह नजर आता है। यह मंदिर 40 मीटर ऊंचे शंकु के आकार का है और मंदिर की दीवारें पत्थरों की बनी हैं।हिडिंबा देवी मंदिर में लकड़ी का दरवाजा है। जिसके ऊपर देवी और जानवरों की छोटी-छोटी आकृतियां हैं। इस मंदिर के चौखट के बीम में भगवान कृष्ण की एक कहानी के नवग्रह और महिला नर्तक हैं। इस मंदिर देवी की मूर्ति नहीं है, पर यहां एक विशाल पत्थर उसके पदचिन्ह बने हुए हैं, जिसे देवी का विग्रह रूप मानकर पूजा की जाती है। इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर घटोत्कच को समर्पित भी एक मंदिर है।
हिडिंबा देवी मंदिर श्रद्धालु बस, ट्रेन और हवाई जहाज से पहुंच सकते हैं। इस मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा कुल्लू में भुंतर हवाई अड्डा है जो मनाली से 10 किमी दूर है। मनाली से इस मंदिर की दूरी 3km है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिन्दर नगर है, जहां से मनाली की दूरी 166 किलोमीटर है।