Basant Panchami 2024: विद्या की देवी सरस्वती से जुड़े 4 पावन धाम, जहां दर्शन मात्र से मिलती है मनचाही सफलता

बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। ज्ञान और बुद्धि को प्रदान करने वाली देवी सरस्वती की कृपा न सिर्फ उनके भक्त बल्कि समस्त देवी-देवता भी चाहते हैं। हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में उनके भक्त माता जी के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। देश में माता सरस्वती के ऐसे कई पावन धाम हैं जहां पर जाकर पूजा-पाठ करने से भक्तों को बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद मिलता है। आइए हंसवाहिनी मां सरस्वती से जुड़े कुछ ऐसे ही सिद्ध एव पावन धाम के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

 

बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। ज्ञान और बुद्धि को प्रदान करने वाली देवी सरस्वती की कृपा न सिर्फ उनके भक्त बल्कि समस्त देवी-देवता भी चाहते हैं। हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में उनके भक्त माता जी के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। देश में माता सरस्वती के ऐसे कई पावन धाम हैं जहां पर जाकर पूजा-पाठ करने से भक्तों को बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद मिलता है। आइए हंसवाहिनी मां सरस्वती से जुड़े कुछ ऐसे ही सिद्ध एव पावन धाम के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर
माता सरस्वती के कई मंदिरों में से एक श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर का बहुत अधिक महत्व है। आंध्र प्रदेश के अदिलाबाद जिले में स्थित इस मंदिर को बसरा नाम से बुलाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसा महाभारत युद्ध के बाद जब ऋषि व्यास शांति की खोज में निकले थे, तब वे गोदावरी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर जा पहुंचे। यहां पर उन्होंने माता सरस्वती की अराधना की, जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने दर्शन दिए। देवी के आदेश पर उन्होंने प्रतिदिन तीन जगह तीन मुट्ठी रेत रखी। चमत्कार स्वरूप रेत के ये तीन ढेर तीन देवियों प्रतिमा में बदल गए जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली कहलाईं। 

पनाचिक्कड़ सरस्वती मंदिर
केरल में स्थित यह मंदिर उस राज्य का एकमात्र मंदिर है जो देवी सरस्वती को समर्पित है। इस मंदिर को दक्षिण मूकाम्बिका के नाम से भी जाना जाता है।  धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कहानियों अनुसार इस मंदिर को किझेप्पुरम नंबूदिरी द्वारा स्थापित किया गया था। इस मंदिर में स्थापित माता सरस्वती की प्रतिमा के पास हमेशा एक दिया जलता रहता है। 

पुष्कर का सरस्वती मंदिर
राजस्थान के पुष्कर में स्थित देवी सरस्वती का मंदिर धार्मिक नजरिए से अत्यंत शुभ माना जाता है। पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी के प्रसिद्ध मंदिर के लिए भारी संख्या में भक्तों की भीड़ लगती है, वहीं उसके साथ स्थित देवी सरस्वती का भी मंदिर है। मान्यता है कि इस मंदिर में यदि आप सरस्वती माता के दर्शन नहीं करते हैं तो आपकी तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर नदी के रूप में माता जी विराजमान हैं। 

मैहर का शारदा मंदिर
मध्यप्रदेश के सतना शहर में, लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाले त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर धार्मिक नजरिए से बहुत ही दिव्य और शक्तिशाली है। यहां पर सरस्वती माता मां शारदा के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर को मैहर देवी के नाम से भी जाना जाता हैं। माता के दर्शन के लिए भक्तों को 1063 सीढ़ियों चढ़नी पड़ती हैं।