सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी भदोही, जहां पर माँ सीता धरती में हुई थी समाहित

यह मंदिर इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित संत रवि‍दास नगर (भदोही) जि‍ले के जंगीगंज बाज़ार से 11 किलोमीटर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यता है कि इस स्थान पर माँ सीता से अपने आप को धरती में समाहित कर लिया था। यहाँ पर हनुमानजी की 110 फीट ऊँची मूर्ति है जिसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है।

 

यह मंदिर इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित संत रवि‍दास नगर (भदोही) जि‍ले के जंगीगंज बाज़ार से 11 किलोमीटर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यता है कि इस स्थान पर माँ सीता से अपने आप को धरती में समाहित कर लिया था। यहाँ पर हनुमानजी की 110 फीट ऊँची मूर्ति है जिसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है।

ऐसी मान्यता है की जब मर्यादा पुरषोत्तम भगवन श्री राम ने माता सीता का परित्याग किया तब माता सीता सीतामढ़ी आकर महर्षि बाल्मीकि आश्रम में रही और यही सीतामढ़ी में आषाढ़ अष्टमी के दिन लव और कुश का जन्म हुआ।

सीता समाहित स्थल में दूर- दूर से श्रद्धालु आकर माँ गंगा में स्नान करके माता सीता व् हनुमान जी का दर्शन करते हैं। सीता मढ़ी मंदिर के हर स्थान के कण- कण में माता सीता बसी हुई हैं। मान्यता यह भी है कि जहा लव कुश ने अस्वमेघ यज्ञ का घोड़ा पकड़ा था और महाबली वीर हनुमान को बंधक बनाया था।