भाद्रपद महीना कब से हो रहा है शुरू? जानें इस माह में क्या करें और क्या करने से बचें
भाद्रपद मास को 'भद्रा' नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'शुभ'। यह महीना भगवान श्रीकृष्ण, भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस महीने में किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना अधिक मिलता है। यह माह चातुर्मास का दूसरा महीना भी होता है, जिसमें भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। इसलिए, इस दौरान भी भक्तगण जप, तप और ध्यान पर विशेष ध्यान देते हैं। अब ऐसे में इस माह का आरंभ कब से हो रहा है और इस माह में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही किन नियमों का पालन करना चाहिए। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
भाद्रपद मास को 'भद्रा' नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'शुभ'। यह महीना भगवान श्रीकृष्ण, भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस महीने में किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना अधिक मिलता है। यह माह चातुर्मास का दूसरा महीना भी होता है, जिसमें भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। इसलिए, इस दौरान भी भक्तगण जप, तप और ध्यान पर विशेष ध्यान देते हैं। अब ऐसे में इस माह का आरंभ कब से हो रहा है और इस माह में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही किन नियमों का पालन करना चाहिए। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
भाद्रपद महीना 2025 कब से हो रहा है शुरू?
हिंदू धर्म में भाद्रपद महीने सुख-समृद्धि का कारक माना जाता है। भाद्रपद माह की शुरुआत 10 अगस्त रविवार से हो रही है। यह महीना 7 सितंबर रविवार को भाद्रपद पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा।
भाद्रपद महीने में क्या करना चाहिए?
भाद्रपद मास में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, जन्माष्टमी, मनाया जाता है। इस पूरे महीने भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करें। उनके मंत्रों का जाप करें और उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
भाद्रपद मास में गणेश चतुर्थी का पावन पर्व आता है। इस दौरान भगवान गणेश की स्थापना करें और उनकी विधि-विधान से पूजा करें। मोदक, लड्डू और दूर्वा अर्पित करें।
हरतालिका तीज और ऋषि पंचमी जैसे व्रत इसी महीने में आते हैं, जो मां पार्वती को समर्पित हैं। महिलाएं अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए इन व्रतों को रखती हैं। इसलिए शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
यह महीना पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म अवश्य करें।
भाद्रपद मास में दान-पुण्य का विशेष महत्व है। अपनी क्षमता अनुसार अनाज, वस्त्र, धन या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करें। गौ-दान को भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
भाद्रपद महीने में क्या करने से बचना चाहिए?
इस पवित्र महीने में मांसाहार और शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
मन और वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी का अनादर न करें और क्रोध करने से बचें।
इस माह में बाल और नाखून कटवाने से बचें।
इस माह में किसी भी तरह के साग का सेवन नहीं करना चाहिए।
भाद्रपद महीने में किन नियमों का पालन करना चाहिए?
भाद्रपद मास में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
भाद्रपद मास भगवान कृष्ण और गणेश जी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ है। जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी पर विशेष पूजा-अर्चना करें। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" और "ॐ गं गणपतये नमः" जैसे मंत्रों का जाप करें।
इस महीने में दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और ग्रह दोष शांत होते हैं।