Sharad Purnima 2024: 16 या 17 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा, जानें शुभ तिथि से लेकर चंद्रदर्शन तक सबकुछ

हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा का व्रत हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात बहुत खास मानी जाती है, क्योंकि इस रात चांद पूरी तरह से चमकता है यानी कि चांद 16 कलाओं से पूर्ण रहता है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। 

 

हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा का व्रत हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात बहुत खास मानी जाती है, क्योंकि इस रात चांद पूरी तरह से चमकता है यानी कि चांद 16 कलाओं से पूर्ण रहता है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। 


शरद पूर्णिमा तिथि
पंचांग के मुताबिक, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर दिन बुधवार को रात 08 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी। अगले दिन 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इस दिन चन्द्रोदय शाम को 05 बजकर 04 मिनट पर होगा। 

शरद पूर्णिमा पूजन मुहूर्त
शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय शाम 5 बजकर 5 मिनट पर होगा। शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की किरणों में खीर रखते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय रात में 08 बजकर 40 मिनट से है। इस समय से शरद पूर्णिमा का चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होकर अपनी किरणों को पूरे संसार में फैलाएगा। पूजा के बाद खीर को खुले आसमान में रख सकते हैं। 

शरद पूर्णिमा पूजा विधि
शाम को स्नान:
शरद पूर्णिमा की शाम को स्नान करके साफ कपड़े धारण करें। 
घर की सफाई: घर को साफ-सुथरा करके घी का दीपक जलाएं। 
मां लक्ष्मी की पूजा: एक चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर धूप-दीप करें। 
खीर का भोग: चांदनी रात में खीर बनाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाएं। 
चंद्रमा को अर्घ्य: चंद्रमा को जल अर्पित करें। 
मंत्र जाप: मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। 

शरद पूर्णिमा की रात क्यों रखते हैं खीर?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है और उस रात अमृत की वर्षा होती है। चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों वाली होती हैं, जो शीतलता भी प्रदान करती हैं। इस वजह से शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर कुछ समय के लिए रखा जाता है, ताकि वह चंद्रमा की किरणों से औषधीय गुणों वाली हो जाए। उसे खाने से लोगों की सेहत अच्छी रहती है और सभी तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

 

शरद पूर्णिमा का महत्व
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा करने के साथ चांदनी रात में खीर बनाकर रखी जाती है। इस रात आकाश से अमृत की बारिश होती है। इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों पर धन-धान्य की वर्षा करती हैं। इस रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जो सभी जीवों को स्वस्थ और दीर्घायु बनाता है। शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने की परंपरा है। माना जाता है कि चांद की किरणों से खीर में अमृत का रस घुल जाता है, जिसे खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है।