May Pradosh Vrat 2025 Date: 9 या 10 मई, कब है मई का पहला प्रदोष व्रत? एक क्लिक में दूर करें कंफ्यूजन

प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित होता है. यह व्रत हर त्रयोदशी तिथि पंचांग के अनुसार मनाया जाता है, जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में आती है. इस व्रत का पालन विशेष रूप से संध्या काल यानी प्रदोष काल में किया जाता है, जब दिन और रात का संगम होता हैयह समय भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं मई माह का पहला प्रदोष व्रत कब है और किस शुभ मुहूर्त में भोलेनाथ की पूजा करें.

 

प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित होता है. यह व्रत हर त्रयोदशी तिथि पंचांग के अनुसार मनाया जाता है, जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में आती है. इस व्रत का पालन विशेष रूप से संध्या काल यानी प्रदोष काल में किया जाता है, जब दिन और रात का संगम होता हैयह समय भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं मई माह का पहला प्रदोष व्रत कब है और किस शुभ मुहूर्त में भोलेनाथ की पूजा करें.


प्रदोष व्रत की तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, मई माह का पहला प्रदोष व्रत यानी वैशाख माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 मई को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 10 मई को 5 बजकर 29 मिनट पर होगा. ऐसे में मई माह का पहला प्रदोष व्रत 9 मई को रखा जाएगा.

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मई माह के पहले प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 1 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भक्तों को पूजा करने के लिए कुल 2 घंटे 6 मिनट का समय मिलेगा.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि 
इस दिन भक्त पूरे दिन या संध्याकाल तक उपवास रखते हैं. कुछ लोग निर्जला उपवास रखते हैं, जबकि कुछ फलाहार करते हैं. संध्याकाल में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस पूजा में शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी आदि अर्पित किए जाते हैं. बेलपत्र, फूल, धतूरा आदि भी चढ़ाए जाते हैं.भगवान शिव और माता पार्वती की आरती की जाती है. व्रत खोलने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है. पूजा के आखिर में व्रत कथा सुनें और आरती करें.

प्रदोष व्रत का महत्व 
माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. यह व्रत जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है. कुछ विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है.प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है. उदाहरण के लिए, सोमवार का प्रदोष व्रत स्वास्थ्य के लिए, मंगलवार का प्रदोष व्रत रोगों से मुक्ति के लिए, और शुक्रवार का प्रदोष व्रत सौभाग्य और समृद्धि के लिए माना जाता है.