खत्म होने वाला है खरमास, मकर संक्रांति से शुरू हो जायेंगे शुभ कार्य 

नए साल की शुरुआत हो चुकी है और साल के पहले महीने में मकर संक्रांति के पर्व से त्योहारों की शुरुआत हो जाएगी। ज्योतिषियों के मुताबिक जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस शुभ घड़ी को मकर संक्रांति का नाम दिया जाता है। माना जाता है मकर संक्रांति के पावन पर्व पर सूर्य देव की पूजा करने से सभी कार्य संपन्न होने लगते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। लेकिन मकर संक्रांति की तिथि के लगते ही खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य की शुरुआत हो जाती है। 

 

नए साल की शुरुआत हो चुकी है और साल के पहले महीने में मकर संक्रांति के पर्व से त्योहारों की शुरुआत हो जाएगी। ज्योतिषियों के मुताबिक जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस शुभ घड़ी को मकर संक्रांति का नाम दिया जाता है। माना जाता है मकर संक्रांति के पावन पर्व पर सूर्य देव की पूजा करने से सभी कार्य संपन्न होने लगते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। लेकिन मकर संक्रांति की तिथि के लगते ही खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य की शुरुआत हो जाती है। 

वैसे तो साल में सूर्य संक्रांति 12 पड़ती है, लेकिन इनमें चार संक्रांतियां विशेष महत्व रखती हैं। ज्योतिष शास्त के अनुसार इनमें मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति शामिल हैं। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गुड़ और तिल दान करना बहुत शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति हर साल जनवरी में इसलिए मनाई जाती है। क्योंकि 14 जनवरी को ही सूर्य उत्तरायण होकर मकर रेखा से गुजरते हैं। इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। 

धार्मिक महत्व जानें?

हिन्दू धर्म में हर साल धूमधाम से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है।  मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है, वहीं जो भी दान पुण्य इस विशेष दिन पर किया जाता है उसका दोगुना फल इंसान को वापस मिलता है। 

मकर संक्रांति का पूजा शुभ मुहूर्त

15 जनवरी को रात्रि में 2 बजकर 43 मिनट पर सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। पूजा पाठ के शुभ समय की बात की जाए तो इस साल मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 45 मिनट तक का है। इस दौरान गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है।