Kartik Maas 2024: 17 या 18 अक्टूबर कब शुरू होगा कार्तिक मास? यहां दूर करें कन्फ्यूजन!

हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये चातुर्मास का आखिरी महीना होता है। इस माह में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी के दिन अपनी योग निद्रा से बाहर निकलते हैं। कार्तिक मास में भगवान कृष्ण की भी पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस मास में गंगा आदि नदियों का स्नान करने के साथ दान करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कार्तिक माह में मां तुलसी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 

 

हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये चातुर्मास का आखिरी महीना होता है। इस माह में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी के दिन अपनी योग निद्रा से बाहर निकलते हैं। कार्तिक मास में भगवान कृष्ण की भी पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस मास में गंगा आदि नदियों का स्नान करने के साथ दान करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कार्तिक माह में मां तुलसी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 

कार्तिक माह में दिवाली, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, करवा चौथ जैसे व्रत त्योहार भी पड़ रहे हैं। इसके साथ ही इस माह भगवान विष्णु के साथ तुलसी पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास के दौरान विष्णु पूजन के साथ भजन, पूजन और दान-पुण्य के साथ दीपदान करना काफी शुभ माना जाता है।  इस महीने दीपदान करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है। 

कार्तिक मास तिथि 
द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ आरंभ हो जाता है, जो कार्तिक पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। इस साल कार्तिक मास के पहले दिन की तिथि 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 4 बजकर 56 मिनट पर शुरू हो रही है। ऐसे में तिथि के अनुसार, कार्तिक माह 17 अक्टूबर से शुरू होगा, लेकिन उदयातिथिके अनुसार, कार्तिक माह 18 अक्टूबर दिन शुक्रवार से शुरू माना जाएगा। 

कार्तिक मास नियम 
कार्तिक माह के दौरान स्नान-दान करना काफी शुभ माना जाता है। इस महीने स्नान दान करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। कार्तिक माह के दौरान दीपदान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दौरान नदी, तालाब आदि में दीपदान अवश्य करें। कार्तिक मास के दौरान तुलसी की विधिवत पूजा करने के साथ शाम को दीपक अवश्य जलाएं। मान्यताओं के अनुसारा, नरक चतुर्दशी के अलावा पूरे कार्तिक माह के दौरान शरीर में तेल नहीं लगाना चाहिए। कार्तिक महीने में वाद-विवाद से बचना चाहिए। इसके साथ ही मन को संयम रखें और किसी की निंदा न करें। 

कथा और गीत का महत्व 
कार्तिक महीने में विशेष रूप से कार्तिक मास की कथा और भक्ति गीतों का गायन किया जाता है, जो भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाता है। कहा जाता है कि कार्तिक मास न केवल धार्मिक अनुशासन का समय होता है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि, भावनात्मक रूपांतरण और व्यक्तिगत विकास का भी अवसर है। इसलिए, इस महीने का स्वागत करने के साथ-साथ इसके महत्व को भी समझना आवश्यक है। इस महीनें में अपने घरों को सजाना चहिए व पूजा-पाठ में बढ़-चढ़कर भागीदारी भी करना चहिए। 

भगवान विष्णु की उपासना 
कार्तिक के महीने में श्री हरि जल में वास करते हैं। यह महीना भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दौरान प्रतिदिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।साथ ही तुलसी के पौधे की उपासना करना भी जरूरी है। सुबह और शाम तुलसी के पौधे के पास देसी घी का दीपक जलाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, अपनी श्रद्धानुसार गरीबों को गर्म कपड़े, भोजन, या धन का दान करना भी पुण्यकारी माना जाता है। 

कार्तिक मास का व्रत और नियम  
कार्तिक महीने में तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। किसी भी प्रकार की अपशब्द या गलत व्यवहार से बचना चाहिए। तन और मन की स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है। इसके साथ ही किसी भी प्रकार के पशु-पक्षी को नुकसान पहुंचाने से भी बचना चाहिए। इस माह में संयम और साधना का विशेष महत्व है, जो जीवन को पवित्रता और शांति प्रदान करती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है।