Jitiya Vrat 2024: कितने बजे है जितिया व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, जानें विधि से लेकर पारण तक का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत (Jitiya Vrat 2024) रखा जाता है। इस व्रत को जिउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, जो खासतौर से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। बता दें कि आज यानी 23 सितंबर दिन सोमवार को जितिया का नहाय खाय किया जा रहा है। बता दें कि इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन की पूजा होती है और यह व्रत भी बहुत कठिन माना जाता है। क्योंकि यह व्रत सप्तमी वृद्धा अष्टमी से शुरू होकर नवमी तिथि में समाप्त होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत (Jitiya Vrat 2024) रखा जाता है। इस व्रत को जिउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, जो खासतौर से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। बता दें कि इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन की पूजा होती है और यह व्रत भी बहुत कठिन माना जाता है। क्योंकि यह व्रत सप्तमी वृद्धा अष्टमी से शुरू होकर नवमी तिथि में समाप्त होता है।
क्या है जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त?
पंचांग के अनुसार जितिया व्रत का प्रारंभ 24 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से होगा और समापन 25 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा।24 तारीख को दोपहर के बाद से अष्टमी तिथि लग जाएगी।ऐसे में जितिया व्रत का आरंभ सप्तमी वृद्धा अष्टमी में 24 तारीख की सुबह से ही माना जाएगा और अष्टमी तिथि का समापन होने पर 25 तारीख को समाप्त होगा।
जितिया व्रत का पूजा मुहूर्त 2024
मिथिला पंचाग के अनुसार, इस बार व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 24 सितंबर 2024 की शाम 04 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर शाम को 06 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। वहीं अगर आप व्रत 25 सितंबर को रख रही हैं तो पूजा का शुभ मुहूर्त 25 सितंबर की सुबह 10:41 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:12 बजे तक रहेगा।
क्या है पूजा विधि?
इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है और इस दिन महिलाएं सुबह स्नान कर एक समय भोजन करती हैं, जिसके बाद फिर अगले दिन निर्जला व्रत रहती हैं। शाम के समय महिलाएं जितिया की पूजा करती हैं और फिर कथा सुनी जाती है। इसके बाद व्रत का पारण फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। महिलाएं व्रत के दिन पूजा के लिए प्रदोष काल में पूजन स्थल को गोबर से लीप देती हैं और एक छोटा-सा तालाब बनाती हैं, जिसके पास एक पाकड़ की डाल खड़ी कर दी जाती है। फिर तालाब के जल में कुशा से बनी जीमूतवाहन की मूर्ति स्थापित की जाती है और गाय के गोबर व मिट्टी से चील और सियारिन की मूर्तियां भी बनाई जाती है। धूप-दीप, अक्षत, रोली, फल, फूल आदि से विधि विधान से पूजा की जाती है। मूर्तियों को टीका लगाने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा कही जाती है।
कैसे करें व्रत का पारण?
बता दें कि जितिया व्रत का पारण करने से पहले महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं और इसके बाद भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाकर अपना व्रत खोलती हैं।इस बार कुछ महिलाएं व्रत का पारण 25 सितंबर की शाम को करेंगी तो कुछ महिलाएं 26 सितंबर की सुबह में जितिया व्रत का पारण करेंगी।