शिव भक्ति में न करें ये गलतियां! सावन में शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीज़ें, इनसे करें परहेज़
सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय माना जाता है। कहते हैं इस पावन महीने में अगर श्रद्धा से भोलेनाथ की पूजा की जाए, तो वो अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। यही वजह है कि हर साल सावन के आते ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस बार सावन 11 जुलाई से 9 अगस्त तक रहेगा—यानी पूरे 30 दिन भोले बाबा को प्रसन्न करने का सुनहरा मौका।लेकिन इस भक्ति के दौरान अक्सर लोग यह नहीं जानते कि शिवलिंग पर क्या अर्पित करना शुभ होता है और किन चीज़ों से बचना चाहिए। यही छोटी-छोटी बातें हमारे पूजन के प्रभाव को बढ़ा या घटा सकती हैं।
सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय माना जाता है। कहते हैं इस पावन महीने में अगर श्रद्धा से भोलेनाथ की पूजा की जाए, तो वो अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। यही वजह है कि हर साल सावन के आते ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस बार सावन 11 जुलाई से 9 अगस्त तक रहेगा—यानी पूरे 30 दिन भोले बाबा को प्रसन्न करने का सुनहरा मौका।लेकिन इस भक्ति के दौरान अक्सर लोग यह नहीं जानते कि शिवलिंग पर क्या अर्पित करना शुभ होता है और किन चीज़ों से बचना चाहिए। यही छोटी-छोटी बातें हमारे पूजन के प्रभाव को बढ़ा या घटा सकती हैं।
शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए:
ऐसी मान्यता है कि कुछ विशेष वस्तुएं भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। जैसे—गंगाजल, दूध, बेलपत्र, भांग, चंदन, अक्षत (चावल), धतूरा, दही, शहद, घी और सफेद पुष्प। इन चीज़ों को शिवलिंग पर अर्पित करने से न केवल भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। ऐसा कहा जाता है कि जो मन से ये पूजन करता है, उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए:
वहीं कुछ चीजें हैं, जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना गया है और इसके पीछे धार्मिक कारण भी हैं। जैसे—तुलसी के पत्ते, केतकी के फूल, शंख से जल, चमेली, लाल रंग के फूल और कटे-फटे बेलपत्र।
दरअसल, तुलसी और शंख भगवान विष्णु को प्रिय हैं, इसलिए शिवलिंग पर इनका अर्पण वर्जित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, केतकी के फूल को भगवान शिव ने श्राप दिया था, इसलिए उसे चढ़ाना निषिद्ध है। चमेली और लाल रंग के फूल आमतौर पर देवी पूजन में उपयोग होते हैं, इसलिए इन्हें शिव पूजन से दूर ही रखना चाहिए।
भोलेनाथ को बेलपत्र बेहद प्रिय हैं, लेकिन ध्यान रखें कि वो कटे-फटे या सूखे ना हों—ताजे और हरे बेलपत्र ही अर्पित करने चाहिए। यह सावधानी न केवल धार्मिक रूप से जरूरी है, बल्कि यह आपके श्रद्धा भाव को भी दर्शाती है।